मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

महाकाल की नगरी में नहीं रुकते महाराज, शाम से पहले छोड़ देता है कोई भी शासक

कहा जाता है कि महाकाल के अलावा कोई और इस नगरी पर राज करने की कोशिश करता है तो उसकी गद्दी छिन जाती है. यही वजह थी कि उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य ने शहर की सीमा पर अपना महल बनवाया था, जो कि आज कोठी पैलेस के नाम से जाना जाता है. इतने सालों बाद भी लोग इस बात को मानते हैं, यही वजह है कि किसी भी राजघराने का कोई भी सदस्य, प्रदेश के मुख्यमंत्री या फिर बड़े शासकीय पदों वाले लोग यहां रात नहीं गुजारते.

By

Published : Mar 21, 2019, 6:14 AM IST

बाबा महाकाल

उज्जैन।ताजा मुर्दे की भस्म, शंखनाद, झालरों की झंकार और डमरू की डम-डम के साथ आती भक्तों की आवाज, कुछ ऐसा ही माहौल होता है बाबा महाकाल के दरबार में. सुबह तीन बजे होने वाली भस्मारती शिव के भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देती है. नगाड़ों की थाप के बीच होती शिव की यह आराधना उनके भक्तों में एक नई ऊर्जा भर देती है. भक्त और भगवान के बीच का ये आध्यात्मिक मिलन सिर्फ उज्जैन में देखने को मिलता है.

शिव स्त्रोत और महामृत्युंजय जाप से गूंजती इस शहर की गलियां, रूद्राक्ष से लदी दुकानें और जगह-जगह मिलता महाकाल बाबा का प्रसाद, यह तमाम चीजें शिव की इस पावन नगरी को खास बनाती हैं. उज्जैन का सिर्फ एक राजा है, वो है बाबा महाकाल. जब राजा अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलता है तो प्रजा भी उसका स्वागत करने के लिए सड़क पर उतर आती है.

वीडियो

कहा जाता है कि महाकाल के अलावा कोई और इस नगरी पर राज करने की कोशिश करता है तो उसकी गद्दी छिन जाती है. यही वजह थी कि उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य ने शहर की सीमा पर अपना महल बनवाया था, जो कि आज कोठी पैलेस के नाम से जाना जाता है. इतने सालों बाद भी लोग इस बात को मानते हैं, यही वजह है कि किसी भी राजघराने का कोई भी सदस्य, प्रदेश के मुख्यमंत्री या फिर बड़े शासकीय पदों वाले लोग यहां रात नहीं गुजारते. शासकीय पदों पर बैठे लोग उज्जैन आते भी हैं तो सूरज ढलने से पहले ही शहर की सीमा से बाहर चले जाते हैं. 2015 में हुए सिंहस्थ महाकुंभ के दौरान भी उज्जैन से जुड़ा ये मिथक सच हुआ, जब तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान रात को रुके बिना उज्जैन से वापस चले गए थे. ऐसा हो भी क्यों न आखिर इस नगरी के राजा हैं कालों के काल महाकाल. महाकाल की नगरी में धरती के राजाओं की नहीं दुनिया के राजाओं की गूंज होती है. (कोई सा शिव का भजन लगा दें)

इस मिथक का प्रभाव इसी बात से आंका जा सकता है कि सीएम शिवराज सिंहस्थ में उज्जैन आए तो सही लेकिन शाम होते ही भोपाल वापिस लौट गए. बाबा महाकाल की ये नगरी हमेशा उनकी भक्ति में ही रमी रहेगी, जहां शिव के जयकारे गूंजेंगे और शिव की प्रजा अपने राजा का स्वागत धूमधाम से करेगी. जहां शिव के भक्त अपने राजा के लिए पलकें बिछाएं इंतजार करेंगे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details