मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

Sharadiya Navratri 2023: देशभर में मनाया जा रहा महाअष्टमी का पर्व, 24 खंबा माता मंदिर पर कलेक्टर ने चढ़ाई मदिरा की धार

देश में रविवार को महाअष्टमी मनाई जा रही है. मंदिरों और घरों में अष्टमी की पूजा की जा रही है. वहीं महाकाल नगरी उज्जैन के खंबा माता मंदिर में कलेक्टर ने महाकाल मंदिर के पास विराजित 24 खंबा माता मंदिर में मां को मदिरा की धार चढ़ाई.

Sharadiya Navratri 2023
माता को चढ़ाई मदिरा की धार

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 22, 2023, 5:34 PM IST

Updated : Oct 22, 2023, 6:23 PM IST

माता को चढ़ाई मदिरा की धार

उज्जैन। 9 दिन तक नवरात्रि का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया. वहीं आज पूरे देश भर में महाअष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है. जिसमें मंदिरों से लेकर घरों तक माता की अष्टमी की पूजा की जा रही है. वहीं उज्जैन के महाकाल मंदिर के पास विराजित 24 खंबा माता मंदिर महामाया को आज कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के द्वारा माता की आरती की गई और माता को मदिरा की धार चढ़ाई गई. यह मदिरा की धार 28 किलोमीटर तक शहर के जितने भी माता मंदिर और भैरव मंदिर आएंगे, उन सब पर चढ़ाई जाएगी. यह परंपरा राजा विक्रमादित्य के समय से चली आ रही है.

1 हजार साल पुराना चौबीस खंबा मंदिर:उज्जैन में चौबीस खंबा मंदिर में सुबह 8:30 बजे पूजा शुरू हुई. नगर पूजा का समापन रात को हांडीफोड़ भैरव मंदिर पर होगा. इस दौरान नगर के 40 से अधिक देवी, भैरव मंदिरों में पूजन करेंगे. नगर पूजा कर माता से नगर की सुख-समृद्धि और प्राकृतिक प्रकोप से रक्षा की कामना की जाती है. वहीं घरों में भी कुल देवी की पूजन महाअष्टमी पर किया जाता है. तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध उज्जैन या प्राचीन अवंतिका के चारों द्वार पर भैरव व देवी विराजित हैं, जो आपदा-विपदा से नगर की रक्षा करते हैं. चौबीस खंभा माता भी उनमें से एक हैं. यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना बताया जाता है. मंदिर पर एक शिला-लेख भी है, जिसके अनुसार इस मंदिर में पशु बलि की प्रथा भी चलन में थी, लेकिन 12वीं शताब्दी में उस पशु बलि की प्रथा को प्रतिबंधित कर दिया गया.

यहां पढ़ें...

सम्राट विक्रमादित्य से शासन काल से पूज: नगर पूजा करने का इतिहास हजारों साल पुराना है. कहा जाता है कि उज्जैयनी के राजा सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल से ही चौबीस खंबा माता मंदिर में नगर पूजन किया जाता है. सम्राट विक्रमादित्य माता महालाया और महामाया के साथ ही भैरव का पूजन कर नगर पूजा करते थे. जिससे नगर में समृद्धि और खुशहाली बनी रहे. किसी बिमारी या प्राकृतिक प्रकोप का भय नहीं रहे. इसी लिए नवरात्रि पर्व के महाअष्टमी पर पूजन कर माता और भैरव को भोग लगाया जाता है. जिससे माता और भैरव प्रसन्न होकर नगर की रक्षा करें. मदिरा का भोग लगाने के बाद पूरे नगर में मदिरा की धार इसलिए भी लगाई जाती है कि अतृप्त आत्माएं भी तृप्त होकर नगर की रक्षा करें.

Last Updated : Oct 22, 2023, 6:23 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details