उज्जैन। बाबा महाकाल की नगरी शिव में रंगी नजर आ रही है. सोमवार को बाबा की भस्मारती हुई तो वहीं, साल में एक बार खुलने वाले नागचंद्रेश्वर का मंदिर भी खुला है. वहीं, बाबा महाकाल पालकी में सवार होकर अपनी प्रजा का हाल जानने निकले और भक्तों को जटाशंकर के रूप में दर्शन दिए. श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक एवं अपर कलेक्टर संदीप कुमार सोनी ने बताया कि, ''श्री महाकालेश्वर भगवान की पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा, महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद, श्री घटाटोप मुखोटा व श्री जटाशंकर मुखारविंद'' सम्मिलित हुए.
भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर का किया पूजनःभगवान महाकालेश्वर की सवारी निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन किया गया. उसके पश्चात भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकले और बाबा महाकाल की पालकी का मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों की ओर से पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी गई. उसके बाद सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंची. जहां क्षिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया गया. इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई पुन: श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची.