उज्जैन। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महाराज नरेंद्र गिरी की प्रयागराज में हुई संदिग्ध मौत (Mahant Narendra Giri Maharaj Suspicious Death) के बाद अखाड़ा परिषद का नीलगंगा स्थित कार्यालय खाली पड़ा है क्योंकि सभी साधु-संत यहां से दिवंगत गिरी के अंतिम दर्शन के लिए प्रयागराज रवाना हो चुके हैं, वंही बड़नगर रोड स्थित निरंजनी अखाड़े में भी सन्नाटा पसरा है. उज्जैन के नीलगंगा अखाड़े की जमीन पर कुछ गुंडों ने कब्जा करने का प्रयास किया था, जिसको लेकर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा उज्जैन कलेक्टर और एसपी से मुलाकात कर गुंडे संतोष के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई करने की मांग की थी, जिस पर प्रशासन ने संतोष पर रासुका के तहत कार्रवाई कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया था. करीब दो माह पहले कोर्ट में विचाराधीन प्रकरण से जुड़ी जमीन पर कब्जा करने के प्रयास के चलते विवाद हुआ था.
संत, संपत्ति और साजिश का देवभूमि में रहा गठजोड़, अब तक 22 संतों ने गंवाई जान
नीलगंगा अखाड़ा परिषद के कार्यालय में फिलहाल इक्का-दुक्का संत ही नजर आ रहे हैं, करीब दो माह पहले नीलगंगा क्षेत्र की न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण से जुड़ी जमीन पर कब्जा करने के प्रयास के चलते विवाद हुआ था, इस मामले में जूना अखाड़ा के महंत के साथ मारपीट की गयी थी. अखाड़ा परिषद के कार्यालय के सामने की दो बीघा विवादित जमीन का मामला कोर्ट में विचाराधीन है, इसके बावजूद शहर के कुख्यात अपराधी संतोष पिता शंकर राव कदम निवासी विवेकानंद कॉलोनी, ओमप्रकाश पिता बक्ष सिंह चौहान निवासी आदित्य नगर ने अखाड़े की जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किय था. इस बात की सूचना जब अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी को लगी तो तत्काल उन्होंने अपना एक वीडियो जारी कर प्रशासन को चेताया था, साथ ही प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से बात भी की थी, इसके बाद उज्जैन कलेक्टर ने आरोपियों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की थी. अखाड़े से जुड़े राहुल कटारिया बताते हैं कि नरेंद्र गिरी जी का असमय जाना बहुत बड़ी क्षति है, वे हमेशा पिता के रूप में सभी को आशीर्वाद और मार्गदर्शन देते थे. इधर जूना अखाड़े के संत देव गिरी ने बताया की हमेशा संतों को संबल देने वाले ऐसे संत विरले ही होते है और वे आत्महत्या जैसा काम नहीं कर सकते हैं, उनकी मौत एक साजिश है.