उज्जैन| कोरोना वायरस के कारण शासन के अगले आदेश तक सरकारी और निजी स्कूल बंद हैं. बच्चों की पढ़ाई का नुकसान ना हो जिसके चलते सभी जगह ऑनलाइन पढ़ाई के आदेश जारी किए गए हैं. ऐसे में निजी स्कूल संचालकों द्वारा परिजनों से मनमानी ट्यूशन फीस वसूलने का दबाव बनाया जा रहा है.
स्कूलों की मनमानी फीस वसूली को लेकर अभिभावकों ने कलेक्टर से की मांग ऐसी स्थिति में यह है कि जो फीस जमा नहीं कर रहे हैं उनके बच्चों को 10वीं और 12वीं बोर्ड के फॉर्म जमा नहीं करने दिए जा रहे हैं, और वह ऑनलाइन क्लास में शामिल भी नहीं किया जा रहे हैं.
इन सभी बातों से परेशान होकर अभिभावक आज कलेक्टर कार्यालय पहुंचे, यहां शहर में 13 निजी स्कूलों में 24000 अभिभावकों ने कलेक्टर को राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन सौंपा और कुछ अभिभावकों ने अपनी मांग कलेक्टर के सामने भी रखी.
देशभर में कोरोना संक्रमण के कारण सरकारी व निजी स्कूलों को शासन ने अगले आदेश तक बंद रखने को कहा है, बच्चों की पढ़ाई में बाधा ना आए. जिसके चलते ऑनलाइन क्लासेस के आदेश शासन ने जारी किए है. लेकिन कई अभिभावक भी ऐसे भी हैं जिनको सैलरी मिलना बंद हो गई है तो किसी का व्यापार प्रभावित हो गया है, ऐसे में निजी स्कूल के संचालक व अभिभावकों से बच्चों की फीस को लेकर हर रोज दबाव बना रहे हैं, हालांकि इस मामले में हाईकोर्ट के सख्त निर्देश हैं कि कोई भी स्कूल संचालक अभिभावकों से फीस नहीं वसूले केवल नियमित ट्यूशन फीस ही लें.
अभिभावकों का आरोप है कि ‘निजी स्कूल हमसे मनमानी ट्यूशन फीस वसूल रहे हैं. कोर्ट के मिनिमम फीस के आदेश के बावजूद ट्यूशन फीस के साथ और भी चार्ज लगाकर हम पर दबाव बनाया जा रहा है.
10वीं और 12वीं के बच्चों को बोर्ड के फॉर्म भी नहीं भरने दिए जा रहे हैं. ऑनलाइन कक्षा में भी बच्चों को दूर किया जा रहा है. लॉकडाउन में बसों का संचालन बंद था, जिसके टैक्स भी सरकार ने माफ कर दिए हैं. बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं. ऐसे में हम क्यों फीस दें हमने कलेक्टर से मांग की है कि हमें मुख्यमंत्री से मिलवाएं और अगर ऐसा नहीं होता है तो सभी अभिभावक सड़क पर आने में देर नहीं करेंगे.