उज्जैन। कानपुर पुलिस हत्याकांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे बेहद शातिराना अंदाज में तीन राज्य क्रॉस करते हुए मध्य प्रदेश के उज्जैन पहुंचा था. एनकाउंटर में मारे जाने से पहले पूछताछ में उसने पुलिस को कई अहम जानकारियां दी थीं. वहीं जब विकास दुबे महाकाल मंदिर के थोड़े ही पास में लगी फूल प्रसाद की दुकान पर पहुंचा था, तो विक्रेता ने उसे पहचान लिया और तत्काल मंदिर के सुरक्षा गार्ड को अलर्ट कर महाकाल मंदिर पुलिस को सूचित किया था. जिसके बाद तत्कालीन एसपी मनोज कुमार सिंह के निर्देश में एक टीम गठित कर आरोपी को धर लिया गया था. साथ ही कमेटी को जांच के लिए निर्देश दिए गए थे कि आरोपी को पकड़ने में किसने भूमिका निभाई थी और इनाम राशि किसको दी जाए. इसी सिलसिले में शुक्रवार को कमेटी ने छह नाम देकर एसपी ने उज्जैन संभाग के आईजी को फाइल भेज दी थी, जिसके बाद फाइल को आईजी द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार तक पहुंचाने की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया है.
उत्तर प्रदेश के कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर फरारी काट रहा विकास दुबे 6 दिन बाद उज्जैन के महाकाल मंदिर पहुंचा. यहां से सबसे पहले मंदिर के बाहर हार-फूल बेचने वाले सुरेश कहार ने उसे पहचाना, उसने मंदिर के निजी सिक्योरिटी गार्ड राहुल शर्मा, धर्मेंद्र परमार को बताया कि उसने न्यूज चैनल में विकास दुबे की फोटो देखी थी और उसके बाद ही वह पहचान में गया था. जिसके बाद तीनों ने महाकाल चौकी पर तैनात आरक्षक विजय राठौर, जीतेंद्र कुमार और परशराम को जानकारी दी. तीनों पुलिसकर्मी विकास को हिरासत में लेकर चौकी गए थे.
अपर पुलिस अधीक्षक के तीन अधिकारियों की टीम ने तय किए नाम पांच लाख के इनामी बदमाश विकास दुबे को पकड़वाने वाले लोगों के नाम पता करने के लिए तत्कालीन एसपी मनोज कुमार सिंह ने अपर पुलिस अधीक्षक की एक टीम तैयार की थी, जिसमें एएसपी अमरेंद्र सिंह, एएसपी आकाश भूरिया और तत्कालीन एएसपी रूपेश त्रिवेदी शामिल थे. टीम ने जहां-जहां विकास दुबे गया वहां पूछताछ और तमाम सीसीटीवी फुटेज के साथ ही चश्मदीद के बयान लिए तब जाकर यहां से नाम फाइनल कर रिपोर्ट सौंपी गई.
राजस्थान से उज्जैन पहुंचा था विकास दुबे