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बिहार से 1400 किलोमीटर की साइकिल से यात्रा कर आरोपी पहुंचा उज्जैन, पुलिस ने पहनाई माला, जानिए क्या है पूरा मामला ? - 1400 किलोमीटर साइकिल चला कर पहुंचा थाने

उज्जैन: कानून के प्रति संजीदा रहने वाले बिहार के सीतामढ़ी के मुकेश का उज्जैन के नागझिरी थाने की पुलिस ने फूलों की माला पहनाकर सम्मान किया. देखिये ये खास रिपोर्ट...

Police honored the accused
पुलिस ने आरोपी का किया सम्मान

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Published : Oct 11, 2020, 8:48 PM IST

उज्जैन। आपने कानून को तोड़ने वालों को तो हमेशा देखा और सुना होगा, लेकिन इसके उलट भी कुछ लोग ऐसे होते हैं. जो कानून के प्रति बेहद संजीदा हैं. ऐसे ही एक शख्स के बारे में हम आपको बताते हैं, जिनका कानून के प्रति समर्पण देखने के बाद पुलिस वालों ने सम्मान किया.

आरोपी का पुलिस ने ऐसे किया स्वागत

मुश्किल दरकिनार, 1400 किलोमीटर साइकिल से सफर

यह कहानी है बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले मुकेश पिता रामचंद्र लोहार की. मुकेश को जैसे ही पता चला, कि उसके नाम उज्जैन के नागझिरी थाने में वारंट निकला है, तो वो अपने कष्टों की परवाह किए बगैर 1 हजार 400 किलोमीटर की यात्रा पर साइकिल से ही निकल पड़े. न किराये के लिए पैसे थे, और खाने के लिए, लेकिन थाने पहुंचने का जज्बा कम नहीं था, बीच रास्ते में जब भूख लगी, तो भोजन की व्यवस्था के लिए मजदूरी की, और 10 दिन में उज्जैन पहुंच गया.

फूल माला से आरोपी का सम्मान

मुकेश बिहार के सीतामढ़ी से 1400 किमी साइकिल चलाकर ही नगाझिरी थाने पहुंचा. ये बात जैसे ही पुलिस के आला अधिकारियों को पता चली, तो सभी ने इस युवक के जज्बे का सम्मान और कानून के प्रति उसके समर्पण को देखते हुए हार माला पहनाकर स्वागत किया.

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कानून के प्रति पूर्ण समर्पण

थाना प्रभारी संजय वर्मा ने मुकेश की प्रशंसा करते हुए बताया कि यह एक श्रेष्ठ नागरिक है. परिस्थिति वश अपराध हो सकते हैं, पर आज इन्होंने खुद को कानून के लिए समर्पित किया है. हमने आरोपी का पूर्ण रूप से सहयोग किया है, परिवार को भी हमने सूचना की. जिसके बाद सबने अदालत में राजीनामा पेश किया. पुलिस की मदद से आरोपी का फरियादी का राजीनामा हुआ.

पुलिस ने कराया राजीनामा

वहीं मुकेश ने बताया कि उसके पास नागझिरी थाने से फोन आया था, कि उसका साल 2014 का वारंट है. जिसके बाद वो थाने पर आने के लिए राजी तो हो गया, लेकिन लॉकडाउन के कारण उसको कोई साधन नहीं मिला, ट्रेन के टिकट के लिए आवेदन किया, लेकिन टिकट नहीं मिल सका. मुकेश गरीब परिवार से है, और उसके 5 बच्चे भी हैं. जिसका भरण पोषण बमुश्किल हो पाता है. अब मुकेश पुलिस की मदद से अपराध में राजीनामा होने से खुश है, और वापस जाने के लिए शहर उज्जैन में ही मजदूरी कर, किराया इकट्ठा कर रहा है.

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