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MP:अतिथि विद्वान 20 साल से कर रहे नियमितीकरण की मांग,अब दी परिवार सहित आत्मदाह की चेतावनी

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Published : May 15, 2023, 11:48 AM IST

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को देखते हुए एक बार फिर अतिथि विद्वान एकजुट होने लगे हैं. 20 से 25 साल से नियमितीकरण की बाट जोह रहे अतिथि विद्वानों ने अब सरकार को परिवार सहित आत्मदाह करने की चेतावनी दी है. इनका कहना है कि कांग्रेस हो या बीजेपी, दोनों दलों ने उनके साथ नाइंसाफी की है. लेकिन अब सब्र की सीमा पार होने लगी है.

MP Guest scholar demanding regularization
MP: अतिथि विद्वान 20 साल से कर रहे नियमितीकरण की मांग

MP: अतिथि विद्वान 20 साल से कर रहे नियमितीकरण की मांग

उज्जैन।संयुक्त महाविद्यालयीन अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा ने प्रदेश संयोजक मंडल के नेतृत्व में उज्जैन में रविवार को प्रेस वार्ता की. इसमें उन्होंने सरकार के सामने अपनी मांग रखते हुए कहा कि प्रदेश भर के 4600 अतिथि विद्वान 20 से 25 सालों से सेवाएं दे रहे हैं. हम सबको सरकार नियमित करे और हमारा भविष्य सुरक्षित करे. हमें अब डर सताने लगा है कि घर जाने के बाद दूसरे दिन विभाग बुलाएगा कि नहीं. क्योंकि 300 ऐसे अतिथि विद्वान हैं, जिन्हें घर जाने के बाद लेटर थमा दिया गया. इसमें अगले दिन से नहीं आने को कहा गया. अब सीधा आदेश चाहिए :अतिथि विद्वानों ने कहा कि अब हम लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. अगर हमारे साथ ऐसा हुआ तो हम परिवार के साथ आत्मदाह करेंगे. हमें आश्वासन नहीं, सीधा अब आदेश चाहिए. क्योंकि हम में से कई सारे दिव्यांग साथी भी हैं. सबका भविष्य अंधकार में है. अतिथि विद्वानों ने कहा कि कांग्रेस सरकार के वक्त सिंधिया ने वादा किया था. विपक्ष में रहते हुए शिवराज सिंह चौहान ने भी वादा किया था. इसके बाद भी आज तक वादा पूरा नहीं किया गया.

शिवराज ने दिया था आश्वासन :सरकारी महाविद्यालयों में रिक्त पदों पर भर्ती के लिए वर्षों से सेवा देने वाले अतिथि विद्वानों ने एक बार फिर न्याय की गुहार लगाई है. इन शिक्षकों ने कहा कि 16 दिसंबर 2019 को विपक्ष में रहते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद कहा था कि अतिथि विद्वानों को तत्काल कमलनाथ नियमित कर वादा पूरा करें, नहीं तो टाइगर अभी जिंदा है. सरकार बनते ही भाजपा अतिथि विद्वानों को नियमित करेगी. लेकिन आज तक शिवराज सिंह ने वादा पूरा नहीं किया. अब फिर चुनाव आ गए हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने वादा किया था, वे भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए है.

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दोनों दलों से नाराजगी जताई :कांग्रेस हो या बीजेपी सभी अतिथि विद्वानों को नजरअंदाज कर रहे हैं. अब हम आगामी चुनाव का बहिष्कार करेंगे.अगर हमारी मांगें पूरी नहीं की गईं तो हम लोग आत्मदाह भी परिवार के साथ करेंगे. अतिथि विद्वानों के पास योग्यता और अनुभव दोनों हैं. फिर भी भविष्य सुरक्षित क्यों नहीं? अतिथि विद्वान संयुक्त मोर्चा की पदाधिकारी डॉ. नीता तोमर ने कहा कि अतिथि विद्वानों के पास लगभग 25 से 26 वर्षों का अच्छा खासा अनुभव है. नेट, पीएचडी की योग्यता है. फिर भी भविष्य सुरक्षित नहीं है.

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