उज्जैन। 20 सालों के बाद संयोग बना है, जब सर्वपितृ और शनिश्चरी अमावस्या एक ही दिन पड़ा है, जिसके चलते आस्था की डुबकी लगाने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी घाट पहुंचे, एक अनोखी परंपरा के अनुसार श्रद्धालु जूते-चप्पल घाट पर ही छोड़ जाते हैं, जिसकी नीलामी प्रशासन करता है.
त्रिवेणी घाट पर आस्था का सैलाब, डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालुओं ने दान किए जूते-चप्पल
सर्वपितृ और शनिश्चरी अमावस्या का एक ही वक्त संयुक्त संयोग बनने के चलते बड़ी संख्या में श्रद्धालु क्षिप्रा नदी में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे.
क्षिप्रा के त्रिवेणी घाट पर श्रद्धालुओं का सैलाब दिखा, शनिश्चरी अमावस्या और सर्वपितृ अमावस्या एक साथ होने के चलते दूर-दराज से आए श्रद्धालु क्षिप्रा नदी में डुबकी लगाकर पुण्य कमाते हैं. सुबह से लंबी कतारों में लगकर स्नान कर शनि मंदिर में दर्शन कर भक्त निहाल हो गए, इस मौके पर श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में दान भी किया. इस मंदिर की परंपरा के अनुसार श्रद्धालु अपने जूते-चप्पल दान स्वरूप घाट पर ही छोड़ जाते हैं. हालांकि, परंपरा है कि बाद में छोड़े गए जूते-चप्पलों को प्रशासन नीलाम कर देता है.
इस मंदिर की स्थापना उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने कराई थी, ये इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां शिव के रूप में शनि की पूजा की जाती है और श्रद्धालु शनि की कृपा पाने के लिए तेल चढ़ाते हैं. प्रशासन ने भीड़ को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों की ड्यूटी लगा दी थी और सीसीटीवी कैमरे की मदद से निगरानी की जा रही है.