उज्जैन। प्रदेशभर में कोरोना को लेकर स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही चरमराई हुई है. स्टाफ की कमी कोरोना और नयी भर्तियों पर लगी पाबंदी ने अस्पताल की व्यवस्था को और बिगाड़ दिया था. अब मुश्किल और तब बढ़ गई, जब की दो दिन पहले 25 मई को 50 से ज्यादा अस्थायी पैरा मेडिकल स्टाफ सहित आयुष विभाग, नर्सिंग स्टाफ सहित फार्मेसी से जुड़े अस्थायी कर्मियों ने गुरुवार को लामबंद होकर संविदा नियुक्ति की मांग को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले गए और काम बंद कर दिया. जिसके कारण चरक और माधव नगर अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा गई.
मंत्री मोहन यादव के कड़वे वचन कैबिनेट मंत्री मोहन यादव का बयान
उज्जैन हड़ताली अस्थायी कर्मियों से मिलने पहुंचे केबिनेट मंत्री मोहन यादव ने ज्ञापन लेने के बाद, कहा कि मैं मुख्यमंत्री से बात करूंगा. वान्ट्स निकाली जाये, उनको भी जरुरत थी. इसलिए काम करने आये है. कोई किसी को जबरदस्ती थोड़ी ना लगाता है. टेम्परेरी से परमानेंट होना चाहते हैं तो अच्छी बात है. स्टाफ को काम आता है इसलिए सरकार को उनकी आवश्यकता पड़ती है, उम्मीद करता हूं कि बीच का रास्ता निकालेंगे.
मंत्री के बयान पर गुस्सा फूटा
कोविड-19 में 2020 से सेवा दे रहे अस्थाई स्वास्थ्य कर्मी उज्जैन के तमाम स्वास्थ कर्मी, जो अपने कई साल के अनुभव के बाद कोरोना मरीजों की जान बचा रहे हैं. डॉक्टर्स सभी दो दिन से अपनी संविदा नियुक्ति की मांग के लिए हड़ताल पर है. हड़ताल को लीड कर रही डॉ. चेतना रावल ने आरोप लगाया कि बुधवार को हड़ताल के पहले दिन अपनी मांग लिए स्वास्थ कर्मी.
कोविड प्रभारी और मंत्री मोहन यादव के पास पहुंचे तो मंत्री ने उन्हें ये कहकर लौटा दिया कि तुम्हे पैसो की जरूरत थी तो तुम आये जॉब करने. ऐसा व्यवहार एक मंत्री द्वारा किय गया, जो की सही नहीं है. हालकि मंत्री यादव के भी मीडिया के सवाल पर बेतुके बोल सामने आये उन्होंने कहा कि उनको भी जरुरत थी इसलिए काम करने आये है कोई किसी को जबरदस्ती थोड़ी ना लगाता है.
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क्या है मामला
दो दिनों से अस्थाई कर्मचारी संविदा पर नियुक्ति को लेकर हड़ताल पर है. अपनी मांगों को लिए उनका कहना है कि 5 जून 2018 को नीति बनाई गई कि संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के सामने 90% वेतन दिया जाना चाहिये, जो अब तक कई विभागों में लागू हो चुके है, लेकिन NHM में ये सुविधा अब तक लागू नहीं की गई. 3 साल के इंतजार के बावजूद हमने कई आवदेन दिए बावजूद उसके सुनवाई नहीं हो रही, हम प्रदेश में 19000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी है. उज्जैन में 500 के करीब है, हमारे साथ अस्थाई कर्मचारी भी है, जो लगातार कोविड सेंटर में सेवा दे रहे है, हमारी मजबरी है प्रदर्शन करना, हमारा भी परिवार है, हमे कुछ होता है तो इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा, हमने कोरोना पिक आया तब इसलिए प्रदर्शन नहीं किया कि किसी का इंसान उससे दूर ना हो जाये, आज कोरोना स्थिर स्तिथि में है. इसलिए हम प्रर्दशन पर उतरे हैं.
मंत्री मोहन यादव के बयान से दु:ख हुआ- डॉक्टर्स
स्वास्थ कर्मी महिला चेतना रावल ने मीडिया के सामने मंत्री यादव पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब मंत्री के पिता भर्ती थे. माधव नगर में तो हम ही लोगो के स्टाफ ने उन्हें स्वस्थ करके सुरक्षित घर पहुंचाया. मंत्री द्वारा हमे ऐसा कहना आप ही बताइए कितना सही है. हमे इस बात से चोंट पहुंची है. आज हम हमारे छोटे-छोटे बच्चो को घर छोड़कर सेवा दे रहे हैं. पेशेंट से चिपककर हमें उपचार देना पड़ता है. मंत्री यादव से मैं पूछती हूं, कि क्या ये कहना आपका सही है, जवाब दीजिये हमें बहुत दुख हुआ है. आपकी इस बात का, आज हमारे साथ अन्याय किया जा रहा है हम सबको न्याय मिलना चाहिए.