उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के विस्तारीकरण को लेकर हो रही खुदाई में लगातार पुरातत्व धरोहरों के निकलने का सिलसिला जारी है. ऐसे में कई धरोहर उपेक्षा का शिकार हो रही थीं जिसकी शिकायत अवधेश पुरी महाराज, दूसरे संत और जिला कांग्रेस ने मंदिर समिति को हाल ही के दिनों में की थी, कांग्रेस ने धरना भी दिया था. मंदिर के बाहर इसके बाद जिला कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि पुरातत्व विभाग की देख-रेख में एक व्यक्ति नियुक्त किया गया है, सारा काम उनकी देख-रेख में किया जा रहा है. जिसके बाद संत अवधेश पुरी महाराज ने खुशी जताते हुए जिला प्रशासन और पुरातत्व विभाग को धन्यवाद दिया है.
खुदाई के दौरान 30 मई को महाकाल मंदिर के आगे के भाग में मिली माता की प्रतिमा और दूसरे अवशेषों की जानकारी जैसे ही संस्कृति विभाग को लगी, उन्होंने तुरंत पुरातत्व विभाग भोपाल की एक 4 सदस्यीय टीम को उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में देखने के लिए भेजा था, उज्जैन पहुंची 4 सदस्यों की टीम ने बारीकी से मंदिर के उत्तर भाग और दक्षिण भाग का निरीक्षण किया, टीम ने बताया था कि 11वीं और 12वीं शताब्दी का मंदिर नीचे दबा हुआ है, जो कि उत्तर वाले भाग में हैं, वहीं दक्षिण की ओर 4 मीटर नीचे एक दीवार मिली है, जो करीब 21 साल पुरानी हो सकती है, इसके बाद पुरातत्व के मायनों से सहेजे जाने वाली मूर्तियां, मिट्टी में दबी पड़ी थीं. वहीं जिस दीवार को अधिकारी 21 साल पुरानी बता रहे थे, उस पर मिट्टी डाल दी गई थी, जिससे नाराज सन्त और जिला कांग्रेस ने अलग-अलग शिकायत दर्ज कराई थी, जिसे लेकर कांग्रेस ने धरना भी दिया था. मंदिर के बाहर अब मंदिर समिति अध्यक्ष और जिला कलेक्टर ने पुरातत्व विभाग के एक व्यक्ति को देख-रेख के लिए नियुक्त कर दिया है.
प्राचीन मंदिर के मिले अवशेष
उज्जैन महाकाल वन में प्राचीन अवशेष होने की जानकारी पहले भी कई पुरातत्वविद देते रहे हैं, लेकिन बीते 1 साल से अधिक समय से महाकाल मंदिर में चल रहे विस्तारीकरण के कार्यों के लिए खोदी गई मंदिर की जमीन में प्राचीन मंदिर के अवशेष मिले हैं जो इतिहास खोल रहे हैं.
संत अवधेश पुरी महाराज ने क्या कहा ?
उज्जैन अवधेश पुरी महाराज ने कहा कि प्रशासन का धन्यवाद, अब मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इतिहास को भी निहार सकेंगे, अवशेषों को जोड़कर मंदिर में लगाने का कार्य भी हम करने की योजना बनाएंगे , ये हमारी भारतीय संस्कृति की धरोहर हैं, इसे सुरक्षित रखना हमारा कर्तव्य है.यहां एक शोध मंदिर बनना चाहिए जिसका भक्त दर्शन आने वाले समय में करें.