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महाकाल के मंदिर में दिवाली उत्सवः धनतेरस पूजन के साथ शुरू हुआ चार दिवसीय कार्यक्रम - ETV Bharat News

विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में धनतेरस के अवसर पर विशेष पूजन किया गया. इसके साथ ही चार दिवसीय दिवाली उत्सव की शुरूआत हो गयी है. हालांकि पुरोहितों ने आर्थिक स्थिति ख़राब होने का हवाला देकर इस बार भी चांदी के सिक्के बांटने की परम्परा से हाथ खींच लिया.

Diwali festival in Mahakal temple Four day program started with Dhanteras puja
महाकाल के मंदिर में दिवाली उत्सव

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Published : Nov 2, 2021, 12:16 PM IST

उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में धनतेरस के अवसर पर पुरोहित परिवार ने मंदिर के नंदी गृह में धन्वंतरि का पूजन किया. इस दौरान शहरवासी और देशवासियों के आरोग्य और धन वैभव की प्रार्थना की गयी. हालांकि पुरोहितों ने आर्थिक स्थिति ख़राब होने का हवाला देकर इस बार भी चांदी के सिक्के बांटने की परम्परा से हाथ खींच लिया.

महाकाल के मंदिर में दिवाली उत्सव


महाकाल मंदिर में धनतेरस पूजन पर अभिषेक
उज्जैन में प्रति वर्ष की तरह परम्परा अनुसार, इस बार भी मंगलवार को धनतेरस के अवसर पर महाकाल मंदिर में बाबा महाकाल का पूजन अभिषेक कर धन्वंतरि का पूजन अभिषेक किया गया. इस मोके पर उज्जैन मंदिर के 16 पुजारियों और 21 पुरोहित ने शास्त्र के अनुसार पूजन-अभिषेक करवाया. जिसमें देशवासियों के आरोग्य और धन-वैभव समृद्धि बनी रहने की कामना महाकाल से की गई. पुरोहित समिति के अध्यक्ष अशोक शर्मा ने कहा कि हर साल की तरह इस बार भी माता पार्वती (लक्ष्मी मां) का पूजन किया गया है, जिसमें मंदिर समिति के प्रशासक गणेश धाकड़ ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर धन्वन्तरि का पूजन अर्चन किया. मान्यता है कि धनतेरस पर महाकाल के विशेष पूजन के बाद चार दिवस दीपावाली के त्योहार की शुरुआत हो जाती है. मान्यता ये भी है कि सबसे पहले हर त्योहार भगवान महाकाल के मंदिर में ही मनाया जाता है. इसी कारण आज से दीपावली का आरम्भ माना जाता है.

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पुजारियों की आर्थिक स्थिति ख़राब
धनतेरस पर महाकाल मंदिर में हर साल पूजन के बाद चांदी के सिक्के पुरोहित परिवार की ओर से बांटने की परम्परा रही है. प्रति वर्ष करीब 150 रुपए के 400 से अधिक सिक्के पांडा,पुजारी, पुरोहितों में बांटे जाते थे. पंडित अशोक शर्मा ने कहा कि कोरोना के कारण बीते वर्ष भी सिक्के नहीं बांट पाए थे और इस बार भी पुजारियों की आर्थिक हालात ठीक नहीं होने के चलते सिक्के नहीं बांटे गए है.

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