उज्जैन। देश में कोरोना महामारी को आए 1 साल से अधिक का समय बीत चुका है. कोरोना की दूसरी लहर ने इस बार ग्रामीण क्षेत्रों में भी गहरा असर दिखाया है. गांव-गांव में लोगों कोरोना से संक्रमित हो रहे है. वहीं लाखों लोग पूरे देश में अब तक दम भी तोड़ चुके हैं. गांव-गांव कोरोना रिपोर्ट में उज्जैन जिले के महिदपुर तहसील के मड़ावदा जनपद का जायजा लिया तो पता चला कि यहां 35 छोटे-छोटे गांव पर महज एक अस्पताल है.
प्रशासन के दावे के बीच गांव में बीमार लोग
उज्जैन जिले का गांव मड़ावदा में काेराेना से निपटने के लिए 35 गांव के बीच एक अस्पताल है. लेकिन सुविधा के नाम पर यहां टेंट हाउस की छह गादियां जमीन पर बिछा दी गई हैं. बाॅटल चढ़ाने के लिए स्टैंड रखे हैं लेकिन ऑक्सीजन सपोर्ट नहीं है. यहां पदस्थ डॉक्टरों को इंजेक्शन लगाने की अनुमति भी नहीं है. ऐसे में ऑक्सीजन सपोर्ट तो दूर की बात है, क्षेत्र में लोगों की ठीक से जांच भी नहीं की जा सकती है. इधर अधिकारी कह रहे है कि घर-घर सर्वे करा रहे हैं और ग्रामीण इलाकों में कोरोना की किट भी दी गई है. कई गांवों में संदिग्ध मरीज हैं लेकिन ग्रामीण उसे सामान्य सर्दी जुकाम ही समझ रहे हैं.
वहीं उज्जैन के माधव नगर अस्पताल के प्रभारी डॉ. विक्रम रघुवंशी की माने तो ग्रामीण इलाकों में कोरोना के बढ़ने और संदिग्ध मरीजों की मौत का सबसे बड़ा कारण है ग्रामीणों का डर. गांव में रहने वाले लोगों की धारणा बन चुकी है कि अगर कोरोना का टेस्ट कराया और संक्रमित मिले तो अस्पताल ले जाएंगे और बंद कर देंगे. जिले में ऐसे कई गांव हैं जहां सरकारी अमला नहीं पंहुचा और लगातार कोरोना के संदिग्ध मरीजों की मौत हो रही है.