उज्जैन।बाबा महाकाल की नगरी के नाम से देशभर में अपनी पहचान रखने वाला उज्जैन शहर धर्म और आस्था का प्रतीक माना जाता है. देश और प्रदेश की सियासत का रास्ता भी बाबा महाकाल के दर से ही खुलता है. यही वजह है कि क्या आम क्या और खास सभी बाबा के दर पर मत्था टेकने आते हैं. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित उज्जैन लोकसभा सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ मानी जाती है. जहां इस बार बीजेपी के अनिल फिरोजिया का मुकाबला कांग्रेस के बाबूलाल मालवीय से हैं.
उज्जैन के सियासी इतिहास की जाए 1957 से इस सीट पर अब तक 15 आम चुनाव हुए हैं. जिनमें से 8 बार बीजेपी ने विजयश्री हासिल की है. तो कांग्रेस को चार बार जीत मिली है. जबकि दो बार जनसंघ और एक बार लोकदल के प्रत्याशी ने भी यहां जीत दर्ज की थी. बीजेपी के दिग्गज नेता सत्यनारायण जटिया ने इस सीट से लगातार 6 बार जीत चुके है. 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू ने उनकी जीत पर ब्रेक लगा दिया था. खास बात यह है कि सत्यनारायण जटिया के अलावा इस सीट पर कोई भी नेता दोबारा जीत हासिल नहीं कर सका है.
क्या है उज्जैन का पॉलिटिक्स उज्जैन संसदीय क्षेत्र में इस बार 14 लाख 98 हजार 473 मतदाता मतदान करेंगे. जिनमें 7 लाख 77हजार 646 पुरुष मतदाता और 7 लाख 20 हजार 818 महिला मतदाता शामिल हैं. उज्जैन लोकसभा सीट पर इस बार 2066 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें 438 मतदान केंद्रों को संवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है.
उज्जैन लोकसभा सीट के तहत उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, आलोट, नागदा-खाचरोद, बड़नगर, महिंदपुर, तराना और घटिया विधानसभा सीटें आती हैं. विधानसभा चुनाव में इन आठ सीटों में से पांच सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है तो तीन सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. जिससे इस बार बीजेपी का यह गढ़ अब दरकता नजर आ रहा है. 2014 के चुनाव में बीजेपी के डॉ. चिंतामणि मालवीय ने कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू को हराया था. बीजेपी ने इस बार चिंतामणि मालवीय का टिकट काटकर विधानसभा चुनाव में हार झेलने वाले अनिल फिरोजिया को मौका दिया है.
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच बंटी इस लोकसभा सीट पर हर विधानसभा के अपने अलग-अलग मुद्दे हैं. ग्रामीण क्षेत्र का मतदाता जहां शिक्षा, स्वास्थय, पानी, सड़क जैसी परेशानियों से घिरा नजर आता है. तो वहीं शहरी आबादी स्मार्ट सिटी में शामिल होने के बाद भी बेरोजगारी जेसी बड़ी समस्या से परेशान नजर आती है. ऐसे में बाबा महाकाल की नगरी का मतदाता किसका 19 मई को किसका राजतिलक करता है, इसका पता तो 23 मई को ही चल पाएगा.