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मनुस्मृति का श्लोक पढ़ महिला जज ने रेपिस्ट बाप को दी उम्रकैद की सजा - उज्जैन न्यूज

उज्जैन में जिला कोर्ट की जज आरती शुक्ला पांडेय ने दुष्कर्म करने वाले पिता को मनुस्मृति का श्लोक पढ़कर सजा सुनाई है.

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Published : Feb 11, 2021, 12:56 PM IST

Updated : Feb 11, 2021, 4:01 PM IST

उज्जैन। बेटी से दुष्कर्म करने वाले पिता को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. जिला कोर्ट की जज आरती शुक्ला पांडेय ने फैसले से पहले मनुस्मृति का श्लोक पढ़ा. श्लोक पढ़ जज ने कहा कि जो भी अपराध करे, वह दंडनीय है, चाहे वह पिता ही क्यों न हो'. उसके बाद पिता को आजीवन कारावास के साथ 2500 रुपये अर्थदंड के साथ सजा सुनाई. इसकी जानकरी सरकारी वकील ADPO मुकेश सोनारे ने दी.

ADPO ने दी जानकारी
क्या है पूरा मामला?
6 अप्रैल 2019 को मां बेटी ने थाना चिमंगज पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवाई थी. मां ने शिकयात करते हुए कहा कि उसकी 11 वर्षिये बेटी के साथ उसी के पिता कमल जो पेशे से ड्राइवर है और कभी कभी घर आते है. उसके दुष्कर्म किया गया. पांचवी कक्षा में पड़ने वाली बच्ची को उसके पिता ने किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी थी. जिसके डर से बच्ची ने साल भर तक किसी कों कुछ नहीं बताया. पूरे मामले की घटना को स्टडी कर महिला जज आरती शुक्ल पांडेय ने सजा सुनाने से पहले मनुस्मृति श्लोक पढ़ा.पिताचार्य: सुह्न्माताभार्यापुत्र: पुरोहित:, नादण्डयोनामरोज्ञास्ति य: स्वधर्मे न तिष्ठति.इसका उन्हीने हिंदी अर्थ बताते हुए कहा कि जो भी जो भी अपराध करे, वह दंडनीय है, चाहे वह पिता ही क्यों न हो' चाहे वह पिता, माता, गुरु, पत्नी, मित्र या पुरोहित ही क्यों न हो.

निम्न धाराओं में किया गया प्रकरण दर्ज
376 (2) (एफ) (एन), 376 (एबी), 5/6 पोस्को एक्ट के तहत आजीवन कारावास और 2500 रुपये अर्थदंड लगाया हैं. एडीपीओ मुकेश सोनारे ने जानकारी देते हुए बताया कि विशेष न्यायाधीश डॉ. आरती शुक्ला पांडेय ने आरोपी कमल को भारतीय दंड सहिंता की धारा 376 एबी में शेष प्राकृतिक जीवनकाल के कारावास से दंडित किया है और 2500 रुपये अर्थदंड लागया है. पूरे मामले में सूरज बचुरिया अतिरिक्त डीपीओ द्वारा की गई.

Last Updated : Feb 11, 2021, 4:01 PM IST

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