टीकमगढ़। मजदूरों ने फिर से पलायन शुरू कर दिया है. हालांकि, प्रदेश सरकार ने दावा किया था कि वापस आए श्रमिकों को अब बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, उन्हें गांव में ही रोजगार मिलेगा. लेकिन, सरकार के दावे खोखले साबित होते नजर आए रहे हैं. जिले से हर रोज बड़ी संख्या में लोग महानगरों की ओर पलायन कर रहे हैं. मामले को लेकर जब अधिकारियों से बात करना चाही तो कैमरे से बचते नजर आए.
23 मार्च से देशभर में हुए लॉकडाउन के दौरान दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और हरियाणा से जिले में हजारों मजदूर अपने गांव लौटे थे. टीकमगढ़ जिले के सबसे ज्यादा मजदूर खरगापुर विधानसभा क्षेत्र में आए थे, ये सभी मजदूर ये सोचकर आए थे कि अब वे वापस नहीं जाएंगे, बल्कि अपने ही गांव में ही मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करेंगे. लेकिन डेढ़ महीने तक अपने गांव में रहने के बाद भी जब उन्हें कोई काम धंधा नहीं मिला, तो वे मजबूरन महानगरों में फिर लौट रहे हैं.
जिले के बल्देवगढ़, खरगापुर और पलेरा नगर के बस स्टैंड से इन दिनों दिल्ली के लिए दो बसें जा रही हैं, जिसमें ज्यादातर वे लोग ही लौट रहे हैं, जो लॉकडाउन के दौरान वहां से आए थे. महानगरों से लौटे प्रवासी मजदूरों को उनके गांव में रोजगार देने के प्रदेश सरकार के दावों को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. भगवंत नगर की मेदाबाई ने बताया, 'गांव में मजदूरी नहीं मिलने से परिवार को चलाना मुश्किल हो रहा है, सरपंच सचिव से लेकर सीईओ सबसे कई बार शिकायतें की, लेकिन कोई कुछ नहीं करता, अब मजबूरी में परिवार को चलाने के लिए पलायन करना पड़ रहा.'
हर रोज मजदूरों का जत्था बस में सवार होकर शहरों की ओर रवाना हो रहा. अधिकारियों और जनप्रतिनिधि भले ही इस कड़वी सच्चाई को न स्वीकारें लेकिन जिले के रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर पलायन करने वाले ग्रामीणों की भीड़ हकीकत बयां कर रही है.
10 हजार से अधिक जॉब कार्ड बने, लेकिन रोजगार नहीं