टीकमगढ़। ये इमारत कोई साधारण भवन नहीं है, बल्कि इसके गेट पर लगा ये बोर्ड इस बात की तस्दीक करता है कि यहां इंसान को मौत के मुंह में जाने से बचाने का पूरा इंतजाम है, लेकिन सिस्टम की लापरवाही ने इस भवन के मायने ही बदलकर रख दिया है, जिसके चलते यहां ठीक होने की उम्मीद लेकर पहुंचने वालों को निराशा हाथ लगती है. यहां बेड तो हैं पर मरीज नहीं दिखते क्योंकि कुर्सी तो हैं पर डॉक्टर यहां नहीं बैठते.
प्रदेश सरकार भले ही हर नागरिक को समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा कर रही है, उसके लिए अस्पताल भी मौजूद हैं, लेकिन लापरवाही के चलते ये अस्पताल महज एक टूटी-फूटी इमारत बनकर रह गये हैं. सागर संभाग के सबसे बड़े ग्राम पंचायत चंदेरा का ये सरकारी अस्पताल 10 बिस्तरों वाला है, जिसमें 10 मरीजों को भी उपचार नहीं मिलता. न ही यहां प्रसव वार्ड है. न कोई अन्य सुविधा. जिसके चलते 20 किमी दूर तक महिलाओं को जाना पड़ता है. ऐसे में उनके जान पर आफत बनी रहती है.