टीकमगढ़।कुंडेश्वर मंदिर बुंदेलखंडवासियों की आस्था का केंद्र है लेकिन इन दिनों मंदिर ट्रस्ट की कारगुजारियों के चलते भोलेनाथ के भक्त काफी दुखी हैं. दरअसल मंदिर कार्यकारणी के सदस्यों ने मंदिर को राजनीति का अखाड़ा बना दिया है और रसूखदारों ने एक तरह से मंदिर पर कब्जा कर लिया है. पिछले छह साल से मंदिर कार्यकारणी के चुनाव नहीं कराए गए. मंदिर में निर्मित की गयी दुकानों के आवंटन में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. हालांकि इस मामले की शिकायत कलेक्टर को करने के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ है.
क्या है मामला
दरअसल बुंदेलखंड के टीकमगढ़ में स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर कुंडेश्वर इन दिनों अपनी भव्यता और दिव्यता को लेकर नहीं,बल्कि मंदिर में चल रही राजनीति को लेकर सुर्खियों में है. जिससे मंदिर में आस्था रखने वाले लोग और श्रद्धालुओं को ठेस लग रही है। दरअसल मंदिर की कार्यकारणी पर पिछले छह साल से एक ही समिति का कब्जा है. जबकि हर तीन साल में मंदिर कार्यकारणी के नए सिरे से चुनाव कर नई समिति का गठन किया जाता है. मौजूदा कार्यकारणी ने कोरोना और दूसरे बहाने बनाकर कार्यकारणी का चुनाव टाल दिया था.
भ्रष्टाचार के चलते चुनाव नहीं
लोगों का कहना है कि राजनीतिक पकड़ रखने वाले रसूखदार लोग जानबूझकर मंदिर कार्यकारणी का चुनाव नहीं होने दे रहे हैं, क्योकिं उन्होंने अपने कार्यकाल में जमकर भ्रष्टाचार किया है. दरअसल कुंडेश्वर मंदिर की कार्यकारणी में लगभग 1800 आजीवन सदस्य हैं जो मंदिर कार्यकारणी का चुनाव संपन्न कराते हैं. हालांकि मंदिर का ट्रस्ट एक निजी ट्रस्ट है, जिसका निर्वाचन 2017 में हुआ था. मंदिर कार्यकारणी का तीन साल का कार्यकाल होता है,इस लिहाज से 2020 में चुनाव होना था. लेकिन कोरोना के नाम पर चुनाव टाल दिया गया और अब तक चुनाव नहीं कराया गया। चुनाव की मांग को लेकर कई सदस्य तो कार्यकारणी से इस्तीफा देकर अलग हो गए हैं.