टीकमगढ़। कोरोना काल में हजारों दिहाड़ी मजदूर भूखे मरने की कगार पर खड़े हैं. दिहाड़ी मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए रोज जद्दोजहद करने को मजबूर हैं. ये मजदूर रोज सुबह रोजगार की तलाश में घर से निकलते हैं, ताकि शाम को घर में चूल्हा जल सके, लेकिन कोई काम नहीं मिलने से मायूस मन से शाम को घर लौट जाते हैं. जिले में तकरीबन 1200 दिहाड़ी मजदूर हैं, जो रोज सुबह से चौराहों पर बैठकर इंतजार करते की कोई उनको ले जाए, जिससे उनके घर में शाम को चूल्हा जल सके. कई बार तो ऐसा होता है कि, काम की तलाश में बैठे- बैठे इनकी शाम ऐसे ही हो जाती है और बिना कुछ कमाए ही मायूस चेहरे के साथ घर लौट जाते हैं. इन मजदूरों ने सरकार से रोजगार मुहैया करने की अपील की है. ताकि इन्हें दो वक्त की रोटी मिल सके.
टीकमगढ़ में दिहाड़ी मजदूरों के आगे रोजी- रोटी का संकट, सरकार से लगाई मदद की गुहार
टीकमगढ़ जिले में हजारों दिहाड़ी मजदूर भूखे मरने की कगार पर हैं. दो वक्त की रोटी के लिए सुबह से चौराहों पर मजदूरी खोजते शाम को निराश होकर घर लौट जाते हैं.
वहीं इन मजदूरों का कहना है कि, इन लोगों की मजदूरी बढ़ाई जाए. दिहाड़ी मजदूरी 200 से बढ़ाकर 500 रुपए और कारीगर के 500 रुपए से बढ़ाकर 700 किया जाए. इन मजदूरों को रोजगार न मिलने की बड़ी समस्या है. सरकारी काम भी ठप पड़े है और लोग भी कोई कार्य नहीं करवा रहे हैं. ऐसे में इन्हें मजदूरी नहीं मिल रही है. वहीं जिला श्रम अधिकारी का कहना है कि, दो लाख चौसठ हजार मजदूरों का पंजीयन सम्बल योजना में करवाया गया है और 55 हजार मजदूरों का पंजीयन भवन निर्माण कार्य में करवाया गया हैं, फिर भी दिहाड़ी मजदूर रह गए तो उनके पंजीयन करवाकर उनके रोजगार की व्यवस्था करवाई जाएगी.