टीकमगढ़। देश को आजादी मिले सात दशक से भी ज्यादा का समय हो गया है. लेकिन, अफसोस 21वीं सदी के भारत में भी हमारे देश के कई इलाके रूढ़ीवादी सोच पर ही जी रहे हैं. जहां छूआछूत जैसी कुरीतियों की वजह से लोग आज भी एक-दूसरे के विरोधी बने हैं.
जी हां, बुंदेलखंड के टीकमगढ़ जिले का सुजानपुरा गांव इस बात का जीता-जागता उदाहरण है. पहली नजर में आम गांवों की तरह दिखने वाला यह गांव छुआछूत से बुरी तरह प्रभावित है. इस गांव में बने ये तीन कुएं जातीय भेदभाव का सबसे बड़ा उदाहरण हैं. ये कुएं जाति के आधार पर गांव के लोगों में बंटे हैं. जिस जाति का जो कुआं है, उस जाति का आदमी उसी कुएं से पानी भर सकता है. अगर गलती से भी वह दूसरे कुएं पर चला गया तो यहां विवाद की स्थिति बन जाती है.