टीकमगढ़।बुंदेलखंड के हजारों किसानों के लिए जामुनी नदी का पानी किसी चमत्कार से कम नहीं है, ये पानी किसानों को लाखों का फायदा कराता है और किसानों की मेहनत को एक नया आयाम देने का काम करता है. ये पानी अपने आप में एक अजूबा है, तभी तो जहां किसानों के खेतों में हजारों रूपए की कीटनाशक दवाएं काम नहीं करती हैं, वहां पर ये चमत्कारी नदी का जल काम करता है और किसानों की फसलों को जीवनदान देने का काम करता है.
क्या है पानी का रहस्य?
बुंदेलखंड के टीकमगढ़ और ललितपुर जिले की सीमा से निकली जामुनी नदी और वहीं पर बना अजयपार हनुमान मंदिर भी लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है, यहां पर 14 जिलों के हजारों किसान जिसमें मध्यप्रदेश के 6 जिले और उतरप्रदेश के 8 जिलों के किसान अपनी फसलों पर कीटनाशक दवाएं छिड़कने की बजाय जामुनी नदी का पानी देते हैं और इस पानी को फसलों में देने के बाद किसी तरह के कीट फसलों में नहीं लगते हैं.
ऐसे करते हैं इस पानी का उपयोग
जामुनी नदी के पानी को किसान अपने खेतों में डालने से पहले नदी से जल लेकर हनुमान मंदिर की परिक्रमा करते हुए हनुमान जी को जल स्नान कराते हैं, फिर उसी जल को एक टैंक में एकत्रित करते हैं. इसके बाद इसी पानी से किसान अपने फसलों की सिंचाई करते हैं. किसानों का ऐसा मानना है कि इस पानी के फसल में पड़ते ही सभी प्रकार के कीटनाशक नष्ट हो जाते हैं. करीब 100 सालों से किसान इसी मान्यता को मानते हुए सिंचाई कर रहे हैं.