टीकमगढ़। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन का असर अब प्राइवेट बस चालकों पर भी पड़ने लगा है. लॉकडाउन की वजह से जिले की करीब 250 बसों के पहिए थम गए हैं, जो इंदौर, भोपाल, जबलपुर, सागर, सहित मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सड़कों पर दौड़ती थीं. बसों का संचालन बंद होने से संचालकों को करीब 2 करोड़ 60 लाख रुपए का नुकसान होने का अनुमान जताया जा रहा है. वहीं इन बसों के चलन से जिन ड्राइवर, परिचालक और क्लीनर का घर चलता था. अब उनके सामने घर चलने का संकट आ गया है.
लॉकडाउन में हो रहा बस संचालकों को नुकसान 2 करोड़ 60 लाख का नुकसान
बस संचालक प्रणव जायसवाल का कहना है जब बसें चलती थीं तो प्रतिदिन सारा खर्चा काटकर दिन का 4 से 5 हजार रुपए की कमाई होती थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण दो महीने से बसें नहीं चल रही हैं. ऐसे में अगर हिसाब लगाया जाए तो एक माह का 1 करोड़ 30 लाख रुपए का घाटा हो रहा है और यदि 2 माह के नुकसान का आकलन करें तो 250 बसों के सड़कों पर नहीं दौड़ने से 2 करोड़ 60 लाख रुपए का नुकसान अभी तक जिले के सभी बस संचालकों को हो रहा है.
टैक्स माफी की मांग
वहीं यदि अगर बसों के 2 माह के टैक्स की बात करें तो वो भी दोनों माह का 1 करोड़ के करीब होता है. जिसपर बस संचालक का कहना है कि प्रदेश सरकार को 2 माह का टैक्स माफ कर देना चाहिए. क्योंकि दो महीने से बसें बंद पड़ी हैं, ऐसे में टैक्स दे पाना हमारे लिए मुश्किल होगा. संचालकों का कहना है कि कोरोना काल में अगर बसें शुरु भी होती हैं तो हमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना पड़ेगा और ऐसे में करीब 25 से 30 सवारी ही बैठा सकेंगे. जिससे बसों का खर्च भी नहीं नकल पाएगा. ऐसे संचालकों की मांग है कि जब तक कोरोना काल है तब तक सरकार को बसों का टैक्स पूरी तरह से माफ कर देना चाहिए.
डीजल और पेट्रोल पर वेट टैक्स घटाने की मांग
बस ऑनर्स का कहना है कि मध्यप्रदेश में सरकार को डीजल और पेट्रोल पर वेट टैक्स कम करना चाहिए. जिससे बस ऑनर्स को राहत मिल सकेगी. संचालकों का कहना है कि वेट टैक्स 40 से लेकर 50 प्रतिशत कम किया जाना चाहिए. क्योंकि मध्यप्रदेश में अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा वेट टैक्स वसूला जाता है. वहीं बसों पर काम करने वाले करीब एक हजार चालक, परिचालक और क्लीनर की रोजी-रोटी ठप हो गई है. ऐसे में उनको भी कई परेशानियों का सामना कना पड़ रहा है. वहीं लॉकडाउन में खड़े-खड़े बसें खराब हो रही हैं, बसों में जंग लग रही है. ऐसे में संचालकों का कहना है कि जब भी बस को चालू किया जाएगा, तो उनके मरम्मत के लिए हजारों रुपए का खर्च आएगा.