टीकमगढ़। देश भर में अपनी सादगी के लिए मशहूर, बदन पर सफेद कुर्ता पाजामा और गले में भगवा तौलिया डाले ये हैं मोदी के मंत्री वीरेंद्र खटीक. अपनी सादगी की वजह से सुर्खियों में रहने वाले वीरेंद्र खटीक बुंदेलखंड अंचल में बीजेपी के बड़े नेता के तौर पर जाने जाते हैं. वो पिछले दो चुनावों में टीकमगढ़ से और 6 बार से लगातार सांसद रह चुके वीरेंद्र खटीक सातवीं बार लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र खटीक का सियासी सफर डॉ. हरिसिंह गौर की नगरी के नाम से मशहूर सागर में जन्में वीरेंद्र खटीक का बचपन बेहद तंगहाली में गुजरा है. शायद यही वजह है कि केंद्रीय मंत्री के पद तक पहुंचने के बाद भी वे दूसरे नेताओं की तरह तामझाम से दूर नजर आते हैं. केंद्रीय मंत्री बनने के बाद भी वीरेंद्र खटीक अक्सर अपने पुराने स्कूटर पर से सागर में घूमते नजर आ जाते हैं. 6 बार से लगातार चुनाव जीत रहे केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक का रहन-सहन आज भी आम लोगों जैसा है. वीरेंद्र खटीक की सियासी करियर पर नजर डालें
वीरेंद्र खटीक ने सागर विश्वविद्यालय से छात्र राजनीति की शुरुआत की
वीरेंद्र खटीक 1977 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े
आपातकाल के दौरान वीरेंद्र खटीक 16 महीने तक जेल में रहे
1996 में पहली बार सागर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए
वीरेंद्र खटीक सागर से लगातार चार बार जीतकर संसद पहुंचे
2009 और 2014 में टीकगमढ़ सीट से भी सांसद चुने गए
सितंबर 2017 में एनडीए सरकार में केंद्रीय बनाए गए
वीरेंद्र खटीक बीजेपी के टिकट से 7वीं बार चुनाव लड़ रहे हैं
वीरेंद्र खटीक सांसद बनने के बाद पहली बार तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने लोगों की समस्याएं सुनने के लिए जन चौपाल लगाना शुरु की थी. उन्हें चौपाल वाले सांसद के नाम से भी जाना जाता हैं. मोदी के इस मंत्री की सादगी के कई नेता कायल है क्योंकि उन्हें पूरे क्षेत्र में अपनी सादगी के लिए ही जाना जाता है. इस बार डॉ. वीरेंद्र खटीक का मुकाबला कांग्रेस की महिला प्रत्याशी किरण अहिरवार से है. दोनों ही टीकमगढ़ के लिए बाहरी प्रत्याशी हैं. जहां एक ओर वीरेंद्र खटीक टीकमगढ़ से दो बार चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुके हैं और उनके सामने एंटी इनकमबेंसी का खतरा है तो वहीं किरण अहिरवार पहली बार टीकमगढ़ से कांग्रेस की टिकट पर किस्मत आजमा रही हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि सातवीं बार भी देश की सबसे बड़ी पंचायत में खटीक फिर से दस्तक देते हैं या कांग्रेस की किरण उन्हें मात देती हैं.