टीकमगढ़। पितृ पक्ष के आखिरी दिन और शनिश्चरी अमावस्या के मौके पर जिले के प्रमुख जलाशयों और घाटों पर काफी भीड़ देखने को मिली. लोगों ने घाटों पर विधि-विधान से पितरों को जल का तर्पण किया.
पितृपक्ष अमावस्या पर पूर्वजों का पिंडदान और तर्पण, घाटों पर लगी लोगों की भीड़
अमावस्या के मौके पर सुबह से ही जिले के प्रमुख जलाशयों और धार्मिक घाटों पर लोगों की भीड़ लगी रही. पितृ पक्ष के आखिरी दिन लोगों ने पूर्वजों की पूजा-अर्चना कर उन्हें विदाई दी.
हिन्दू धर्म में श्राद्ध और पूजा का बड़ा महत्व है. इस दौरान लोग अपने पूर्वजों के नाम पर पूजा-अर्चना कर उनका श्राद्ध करवाते हैं, ताकि उन्हें मुक्ति मिल सके. इस बार अमावस्या शनिवार को होने से इसका और भी महत्व बढ़ जाता है. इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है. इस मौके पर लोगों ने अपने पूर्वजों को याद कर उनका पिंडदान किया और ब्राह्मणों को भोजन करवाया.
अमावस्या के मौके पर जिले के कई धार्मिक घाटों पर पहुंचकर अपने पूर्वजों का पिंडदान किया गया. पुराणों के अनुसार पितृ पक्ष 16 दिनों तक चलता है, भाद्रपद की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक ये होता है. इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की पूजा-अर्चना करते हैं और फिर अमावस्या को उनका पिंडदान कर उन्हें विदा कर देते हैं.