टीकमगढ़। जिले का खरगापुर बुंदेली शासकों के लंबे शासनकाल के लिए जाना जाता है. हालांकि मौर्य, शुंग और गुप्त वंश के साम्राज्य का हिस्सा रहे खरगापुर में नवमीं शताब्दी से चंदेलों के राज के प्रमाण मिलते हैं. इसके बाद खरगापुर ओरछा राज्य के अधीन हो गया और वीरसिंह देव के पांचवे पुत्र ने यहां राज किया. खरगापुर की पहचान भारतीय स्वतंत्रता के आंदोलन में सक्रियता के लिए भी है. यहां स्वतंत्रता सेनानी नाथूराम गोस्वामी, मुन्ना लाल खारिया के नेतृत्व में आजादी के लिए आंदोलन किया गया. जहां तक यहां के दर्शनीय स्थलों की बात करें तो यहां का किला और बानसुजारा बांध एक शानदार पर्यटक स्थल है. बान सुजारा बांध धसान नदी पर बना है.
राहुल सिंह लोधी का पलड़ा भारी:टीकमगढ़ जिले की खरगापुर सीट से 14 प्रत्याशी मैदान में हैं. भाजपा ने वर्तमान विधायक राहुल सिंह लोधी को प्रत्याशी बनाया है. वहीं कांग्रेस ने चंदा सुरेंद्र सिंह गौर को मैदान में उतारा है. इस मुकाबले में राहुल सिंह लोधी का पलड़ा भारी नजर आ रहा है.
खरगापुर विधानसभा का परिचय:खरगापुर विधानसभा टीकमगढ़ मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर है. खरगापुर विधानसभा 1967 में विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया. 1967 से लेकर 2008 तक ये विधानसभा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित थी, लेकिन 2008 से अनारक्षित हो गयी है. खरगापुर विधानसभा बल्देवगढ़ तहसील, पलेरा नगर पंचायत और पलेरा तहसील के कुछ हिस्से के अंतर्गत आती है.
खरगापुर का चुनावी इतिहास: खरगापुर विधानसभा की बात करें तो यहां पर कांग्रेस और बीजेपी का बोलबाला रहा है, लेकिन 1990 से ये इलाका एक तरह से भाजपा का गढ़ बन गया है. इलाके में उमा भारती का प्रभाव है और फिलहाल यहां उनके भतीजे राहुल लोधी विधायक हैं. जिन्हें हाल ही में मंत्री बनाया गया है. वहीं दूसरी तरफ पिछले कुछ चुनावों से बसपा यहां का चुनावी खेल बिगाड़ देती है, क्योंकि भले ही ये सीट आज अनारक्षित हो गयी है, लेकिन 2008 के पहले तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. ऐसे में यहां पर अनुसूचित जाति का प्रभाव अभी है और चुनाव के परिणाम में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधानसभा चुनाव 2008:भारतीय जनता पार्टी को छोड़ने के बाद उमा भारती ने भारतीय जनशक्ति पार्टी का गठन किया था और 2008 चुनाव में उनकी पार्टी के चार विधायक चुने गए थे. जिनमें से एक विधायक अजय यादव खरगापुर से चुने गए थे. अजय यादव ने 2008 विधानसभा चुनाव में 23 हजार 775 वोट हासिल किए थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी बसपा के सुरेन्द्र सिंह गौर को 22 हजार 769 मत मिले थे. इस प्रकार 1006 वोटों से अजय यादव चुनाव जीत गए थे.