टीकमगढ़। जिले में चामुंडा देवी का अनोखा मंदिर है. 200 साल पुराने इस मंदिर में मां चामुंडा देवी की प्रतिमा स्वयम-भू स्थापित है. जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर सुनवाहा गांव के पास ये मंदिर बना हुआ है. चामुंडा देवी का अनोखा मंदिर पूरे प्रदेश में प्रख्यात माना जाता है. पहले माता चामुंडा एक पत्थर के रूप में अदृश्य रहीं और फिर धीरे-धीरे माता की मूर्ति और मंदिर का विस्तार किया गया. यहां कई राज्यों से हजारों और लाखों की संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं. यहां पर जो भी लोग आते हैं उन सभी की मुराद पूरी होती है.
पहले माता को चढ़ाई जाती थी बलि
कहा जाता है कि यहां पर एक पहाड़ी थी और उस जमीन से ये चामुंडा देवी माता प्रकट हुई थीं. माता ने एक चरवाहे के सपने में आकर मंदिर बनवाने की बात कही थी. लोग बताते हैं कि पहले यहां माता को बकरे की बलि चढ़ाई जाती थी, एक दिन महाराजा वीर सिंह को पता चला कि यहां पर मंदिर में पंडित बलि चढ़ाते हैं, तो उन्होंने अपने दूत को मंदिर भेजा और कहा कि देखो पंड़ित कैसे बलि चढ़ाते हैं, जैसे ही पंडितों ने बकरे की कान की बलि चढ़ाई तो राजा के दूत मंदिर पहुंचे और बोले बताओ किसकी बलि चढ़ाई तो पंडितों ने कहा अभी पूजा हो रही है बाद में बताते हैं और पंडितों ने माता से प्रार्थना की तो माता ने बकरे के कान को गुलाब का फूल बना दिया और दिखाया तो सभी वापस गायब हो गया, बस तभी से माता ने बलि लेना बंद कर दिया था.
चामुंडा माता के कई अद्भूद चमत्कार
लगभग चार साल पहले यहां पर ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन का काम चल रहा था. मंदिर के आगे से जब रेल की पटरियां बिछाई जा रही थीं, तब ठेकेदार माता के मंदिर में माथा टेकने नहीं गया, तो सारी रेल पटरियां उखड़ गईं, दिनभर इन पटरियों को बिछाने का कार्य किया जाता रहा, लेकिन पटरियां फिर उखड़ जाती थीं. ये सिलसिला करीबन एक महीने तक चला. रेल प्रशासन और काम करने वाल बेहद परेशान हो गए, और जब उन्होंने लोगों को बताया तो सब ने उन्हें देवी मंदिर के दर्शन के लिए कहा. जब लोगों ने देवी मां से प्रार्थना की तो तब जाकर सब ठीक हुआ.