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Published : Jul 24, 2020, 1:54 AM IST

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निवाड़ी: पत्रकार सुनील तिवारी की हत्या, 7 लोगों पर मामला दर्ज

निवाड़ी में पत्रकार सुनील तिवारी की बेरहमी से हत्या कर दी गई, जिसके बाद पुलिस ने 7 लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है. सुनील 2 महीने पहले एक वीडियो जारी कर लोगों से मदद की गुहार लगाई थी और अनहोनी की आशंका जताई थी.

Journalist Sunil Tiwari murdere
पत्रकार सुनील तिवारी की हत्या

टीकमगढ़। यूपी हो या यूपी से सटे मध्य प्रदेश के जिले, यहां दबंगों के हौसले बुलंद हैं. गाजियाबाद के बाद अब निवाड़ी जिले में एक पत्रकार की सरेआम गोली मार कर हत्या का मामला सामने आया है. मामला जहां निवाड़ी के सेंदरी थाना अंतर्गत पुतरी खेरा गांव में दबंगों ने पत्रकार सुनील तिवारी की निर्मम हत्या कर दी. जिसके बाद पुलिस ने 7 लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है. सुनील 2 महीने पहले एक वीडियो जारी कर लोगों से मदद की गुहार लगाई थी और अनहोनी की आशंका जताई थी.

पत्रकार सुनील तिवारी की हत्या

बताया जा रहा है पत्रकार सुनील तिवारी अपने छोटे भाई के साथ अपने टीवीएस बाइक शोरूम निवाड़ी से अपने गांव पुतरी खेरा जा रहे, तभी रास्ते में घात लगाए बैठे आरोपियों ने करगवां और पुतरी खेड़ा गांव के बीच उस पर ताबड़तोड़ लाठी-डंडों से हमला कर सुनील पर फायरिंग कर दी जिससे सुनील गंभीर रूप से घायल हो गया. घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे परिजनों ने खून से लथपथ सुनील को उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज झांसी लेकर गए जहां उन्होंने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया.

सुनील तिवारी ने निवाड़ी पुलिस प्रशासन को अपनी जान का खतरा होने की आशंका को लेकर 2 माह पहले अवगत कराया था, जिसका वीडियो बनाकर मृतक ने स्वयं सोशल मीडिया पर वायरल भी किया था. बावजूद इसके निवाड़ी पुलिस नहीं चेती और लचर कार्रवाई के चलते ये घटना सामने आई, जिसके बाद वहीं अब निवाड़ी पुलिस अधीक्षक वाहिनी सिंह ने गंभीरता जांच कर आरोपियों पर कार्रवाई करने की बात कही है. वहीं परिजनों ने पुलिस प्रशासन पर अनदेखी के गंभीर आरोप लगाए हैं.

आरोपियों का पत्रकार सुनील तिवारी के परिवार से पहले ही जमीन को लेकर विवाद चल रहा था और आरोपियों पर पत्रकार के परिवार के एक और व्यक्ति का हत्या का मामला चल रहा है. हलांकि जब पत्रकार ने दो माह पहले ही किसी अनहोंनी की आशंका जाहिर कर पुलिस को अवगक कराया था, इसके बाद भी किसी भी तरह की कार्रवाई न होने से निवाड़ी प्रशासन पर भी सवालिया निशान लगने लगे हैं.

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