टीकमगढ़।अध्यात्म से आधुनिक होते संसार में मानव सभ्यता ने काफी कुछ पीछे छोड़ दिया है. इसमें रहन-सहन, भाषा बोली, संस्कृति और समाज के साथ ही खान-पान की तमाम चीजें शामिल हैं. और अब मॉर्डन होते लोगों के बीच परंपरा और इससे जुड़ी चीजें भी पीछे छूटती जा रही हैं. इन्हीं में से एक है बुंदेलखंड की प्रसिद्ध मिठाई खरपूड़ी
बाजारों से गायब हुई खरपूड़ी भविष्य की तलाश में खरपूड़ी
किसी जमाने मे बुंदेली व्यंजनों और मिठाइयों में सबसे ऊपर, गरीब, ग्रामीण और किसान वर्ग में लोकप्रिय मिठाई खड़पुड़ी मात्र नाम से बिकती थी और लोगों की पसंद भी थी, जिसके आगे सारे लड्डू ओर पेड़ा फेल रहते थे, लेकिन आज आधुनिकता की अंधी दौड़ में बुन्देलखण्ड की यह लाजवाब मिठाई अपना भविष्य तलाशती नजर आ रही है.
लॉकडाउन में बढ़ी मांग पर फिर वही हाल
टीकमगढ़ के किराना दुकानदारों का कहना रहा है कि वे काफी लंबे समय से इसे बेच रहे हैं. अभी लॉकडाउन के दौरान जब अन्य मिठाईयां बन्द रहीं तो खड़पुड़ी मिठाई बाजार में छाई रही. इस दौरान सभी मिठाइयों की तुलना में खड़पुड़ी की बिक्री 50 प्रतिशत रही. कोरोनाकाल में इस 100 साल पुरानी मिठाई ने लोगों का साथ दिया लेकिन अनलॉक के दौर में लोग फिर इससे किनारा करने लगे हैं.
सभी आयोजन में खरपूड़ी विशेष
किसी जमाने मे इस मिठाई के बगैर भगवान भी प्रसन्न नहीं होते थे. मांगलिक और धार्मिक आयोजनों में खड़पुड़ी का जब तक भोग न लगे तो वह अनुष्ठान अधूरा माना जाता था. शादी में खड़पुड़ी से तिलक और बहु के पैर भारी होने पर गोद भराई की जाती थी. समाज के हर छोटे-बड़े आयोजनों में इसका विशेष महत्व रहता था, लेकिन अब आज यह बुंदेलखंड़ के मात्र 5 प्रतिशत जगहों पर ही बची है.
सबसे शुद्ध और टिकाऊ
शक्कर से बनाई जाने वाली यह मिठाई बिना किसी मिलावट के बनाई जाती, क्योंकि इसमें किसी तरह का कैमिकल मिला देने से इसका स्वाद बिगड़ जाता है. यह मिठाई सबसे ज्यादा शुद्ध मानी जा सकती है, इसके अलावा इसे कई महीनों तक स्टोर करके भी रखा जा सकता है और यह खराब नहीं होती.
इसलिए कहते हैं खरपूड़ी
खड़पुड़ी दिखने में पूड़ी के आकार की होती है, जिस कारण इसका नाम खड़पुड़ी पड़ा. समूचे बुन्देलखण्ड के 14 जिलों में यह मिठाई तकरीबन 100 सालों से उपयोग की जा रही है. वहीं काफी सस्ती होने के कारण यह गरीब, ग्रामीण और किसानों के बीच काफी लोकप्रिय भी रही है. लेकिन जैसे-जैसे समय बदला और बाजारों में तमाम प्रकार की मिठाइयों ने दस्तक दी तो यह मिठाई पीछे रह गई.