टीकमगढ़।बुंदेलखंड अंचल का ऐतिहासिक शहर टीकमगढ़ जितना अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है. उतनी ही अहमियत यह सूबे की सियासत में भी रखता हैं. बुंदेली धरा से निकले कई नेताओं ने देश और प्रदेश की सियासत में अपना अलग ही रुतबा कायम किया है. यही वजह है कि यहां चुनावी मुकाबला हर बार दिलचस्प होता है. टीकमगढ़ में इस बार बीजेपी प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र खटीक के सामने कांग्रेस ने महिला प्रत्याशी किरण अहिरवार पर दांव लगाया है.
हैट्रिक लगाएंगे मोदी के मंत्री या टीकमगढ़ में कांग्रेस का खुलेगा खाता टीकमगढ़ लोकसभा सीट के इतिहास की बात की जाए तो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित यह सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. अब तक इस सीट पर दो बार आम चुनाव हुए हैं. दोनों ही बार बीजेपी के वीरेंद्र खटीक ने टीमकगढ़ में जीत दर्ज की है. तीसरी बीर वो चुनावी मैदान में हैं.
टीकमगढ़ के कुल 16 लाख 43 हजार 361 मतदाता लोकतंत्र के महापर्व में मतदान करेंगे. जिनमें पुरुष मतदाता 8लाख 72हजार563 मतदाता, तो 7लाख 70हजार 769 महिला मतदाता शामिल हैं. टीकमगढ़ में इस बार कुल 2062 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जहां प्रशासन ने सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम करने की बात कही हैं.
टीकमगढ़ लोकसभा सीट के तहत टीकमगढ़, जतारा, खरगापुर, पृथ्वीपुर, निवाड़ी, महराजपुर, बिजावर और छतरपुर विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें से चार सीटों पर बीजेपी काबिज है, तो तीन सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. जबकि एक सीट समाजवादी पार्टी के खाते में हैं. 2014 में वीरेंद्र खटीक ने कांग्रेस कमलेश वर्मा को 2 लाख 8 हजार 731 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. जबकि समाजवादी पार्टी इस सीट पर तीसरे स्थान पर रही थी. इस बार बीजेपी के पूर्व विधायक आरडी प्रजापति बीजेपी से बगावत करके सपा-बसपा गठबंधन की तरफ से मैदान में है. जिससे इस सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है.
शहरी और ग्रामीण आबादी के बीच बंटी टीकमगढ़ संसदीय क्षेत्र में बेरोजगारी और पलायन सबसे बड़ा मुद्दा हैं. जबकि पूरे बुंदेलखंड की तरह पानी की समस्या अब भी यहां जस की तस बनी हुई है. वही ग्रामीण क्षेत्र अब भी पिछड़ापन का शिकार नजर आता है, जहां शिक्षा, स्वास्थय जैसी मूलभूत सुविधाओं का साफ आभाव नजर आता हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि टीकमगढ़ का मतदाता 6 मई को किस पर दांव लगाता हैं.