सिंगरौली। प्रदेश की ऊर्जा राजधानी कहे जाने वाले सिंगरौली जिले में ऊर्जा उत्पादन की दर्जनों कंपनियां हैं, बावजूद इसके यहां के युवा रोजगार के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. युवाओं को आशा होती है कि पढ़-लिख लेने के बाद उन्हें अपने ही क्षेत्र में नौकरी मिल जाएगी लेकिन, प्रशासन की उदासीनता और कंपनी की मनमानी के चलते उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है.
यहां कंपनियों के भंडार फिर भी युवा बेरोजगार, स्थानीय होने के कारण नहीं मिलता अवसर - No employment in singrauli
प्रदेश की ऊर्जा राजधानी कहे जाने वाले सिंगरौली जिले में ऊर्जा उत्पादन की दर्जनों कंपनियां हैं, बावजूद इसके यहां के युवा रोजगार के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं.
कमलनाथ सरकार ने कंपनियों में 70 फीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार देने का वादा किया था लेकिन वादे तो वादे है इनका हकीकत से कोई सरोकार नहीं. बेरोजगार युवाओं का कहना है कि स्थानीय होने के कारण उनका बायोडाटा देखकर उन्हें काम देने से इंकार कर दिया जाता है.
अपने-अपने बायोडाटा लेकर युवा एक कंपनी से दूसरी कंपनी का चक्कर लगाए रहते हैं लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगती है. बेरोजगार युवाओं ने कई बार इसकी शिकायत जिला कलेक्टर से भी की है, बावजूद इसके प्रशासन इन बेरोजगारों के हाथ को काम नहीं दिला सका.