नई दिल्ली:नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने उत्तरप्रदेश के सोनभद्र और मध्यप्रदेश सिंगरौली के बिजली घरों (पावर प्लांट्स), कोयला खदान और एलुमिनियम स्मेल्टर इंडस्ट्रीज की ओर से पर्यावरण नियमों की अनदेखी करने पर चिंता जताते हुए वायु में गुणवत्ता की सुधार के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए हैं. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है, जो इन प्लांट्स की ओर से फ्लाई ऐश के प्रबंधन की निगरानी करेगा.
एनजीटी ने कहा कि इन प्लांट्स और इंडस्ट्रीज ने फ्लाई ऐश के प्रबंधन पर कोई काम नहीं किया जिसकी वजह से रिहंद जलाशय को काफी नुकसान हुआ है. इससे न केवल वायु और जल प्रदूषण में इजाफा हुआ है. वायु गुणवत्ता के प्रबंधन के लिए इन प्लांट्स और इंडस्ट्रीज ने प्लांट भी स्थापित नहीं किया है, जिसकी वजह से लोगों की मौतें हो रही हैं और पर्यावरण और प्रकृति को काफी नुकसान हो रहा है.
एनजीटी ने केंद्रीय वन और पर्यावरण सचिव की अध्यक्षता में जिस कमेटी का गठन किया है. उसमें केंद्रीय कोयला सचिव, केंद्रीय ऊर्जा सचिव के अलावा उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव भी शामिल होंगे. एनजीटी ने कमेटी को निर्देश दिया कि वो इन प्लांट्स और इंडस्ट्रीज की ओर से फ्लाई ऐश के प्रबंधन और उससे जुड़े मामलों की मानिटरिंग और समन्वय का काम करेंगे.
एनजीटी ने कमेटी को एक महीने के अंदर पहली बैठक कर एक्शन प्लान तैयार करने का निर्देश दिया. कमेटी एक साल तक हर महीने बैठक कर स्थिति की समीक्षा करेगी. इस बैठक में लिए गए प्रस्ताव और फैसले की जानकारी केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किए जाएंगे.
एनजीटी ने जस्टिस एसवीएस राठौर की अध्यक्षता में एक ओवरसाइट कमेटी का गठन किया था, जिसने पावर प्लांट, कोयला खदानों और दूसरे इंडस्ट्रीज का मुआयना कर एक रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी थी. ओवरसाइट कमेटी ने जिन पावर प्लांट पर रिपोर्ट सौंपी थी. उनमें एनटीपीसी शक्ति नगर सोनभद्र, एनटीपीसी रिहंद सुपर थर्मल पावर प्लांट, अनपरा थर्मल पावर प्लांट, अनपरा सी लैंको थर्मल पावर स्टेशन, रेनुसागर थर्मल पावर प्लांट, ओबरा थर्मल पावर स्टेशन शामिल हैं.