सिंगरौली।मध्य प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को लेकर शासन-प्रशासन के दावों की हकीकत विपरीत है. स्कूल में व्यवस्था के लिए करोड़ों रुपए का बजट स्वीकृत किया जाता है. इसके बाद भी जिले में कई ऐसे स्कूल हैं जो ना सिर्फ जर्जर हैं, बल्कि उनमें पेयजल जैसी जरूरी सुविधाओं का अभाव है. एमपी में बदहाल शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहा है सिंगरौली के ताल में बना शासकीय प्राथमिक विद्यालय. सिंगरौली जिले की ये तस्वीरें सरकारी दावों की हकीकत बयान कर रही है. सरकारी स्कूल में जमीन पर बैठे बच्चे, हाथों में किताब और सिर पर खुला आसमान. ये तस्वीर यह बताने के लिए काफी है कि यहां के सरकारी स्कूल में बच्चे किन हालातों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
स्कूल में जगह-जगह दरारें:सिंगरौली जिले के ताल गांव में शासकीय विद्यालय का भवन जर्जर होने के कारण छात्र स्कूल के सामने खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. बताया जा रहा है कि स्कूल की बिल्डिंग पिछले 2 सालों से जर्जर अवस्था में है. बिल्डिंग की छत में जगह जगह बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं. वहीं एक कमरे की छत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. स्कूल के अंदर जान का खतरा होने के कारण शिक्षकों ने स्कूल को खुले आसमान के नीचे संचालित करना शुरू कर दिया. हाल यह है कि बारिश के दिनों में गीली जगह में ही बैठकर बच्चों को पढ़ाई करना पड़ती है.
जिम्मेदार बेखर:स्कूल की हालत देखकर बच्चों के अभिवावक भी अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराने लगे हैं. इस सबके बावजूद जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और शिक्षा विभाग इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझ रहे. जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी सिर्फ आश्वासन देकर ही खानापूर्ति कर रहे हैं. (Singrauli School Building Dilapidated)