सिंगरौली। प्रदेश की उर्जाधानी के नाम से विख्यात सिंगरौली जिले की सिंगरौली विधानसभा सीट मध्य प्रदेश के लिए राजस्व के नजरिए सबसे अहम सीट है. यहां पर बिजली उत्पादन करने वाली कई कंपनियां एवं कोयले का प्रचुर मात्रा में भंडार है. जिसकी वजह से सिंगरौली के बिजली से देश-विदेश तक में रोशनी फैलती है. वैसे तो सिंगरौली आज के दौर में यह अपनी पहचान बिजली, कोयला ,सोना उत्पादन के रूप में बना चुकी है. इस इलाके में खनिज संपदा का भंडार है. यहां बड़ी मात्रा में बिजली, कोयला व सोने का उत्पादन हो रहा है. यही वजह है कि प्रदेश को सबसे अधिक यहां से राजस्व प्राप्त होता है. कई दशक पहले सिंगरौली को काला पानी कहा जाता था, लेकिन कोयले के अपार भंडारण की वजह से आज सिंगरौली की धरती काला सोना उगल रही है और देश प्रदेश को रोशनी देने का जरिया बनी हुई है. साथ ही सिंगरौली राजस्व देने के मामले में भी प्रदेश में नंबर वन पर है.
कांग्रेस-बीजेपी के लिए आप चुनौती: मध्य प्रदेश की ऊर्जांचल कही जानी वाली सिंगरौली सीट इस बार हॉट सीट के रूप में देखी जा रही है. इसकी वजह है नगर निगम के चुनाव में आप यानी आम आदमी पार्टी ने मेयर की सीट पर कब्जा किया है. यहां आप के मेयर ने जीत हासिल कर बीजेपी और कांग्रेस दोनों को टेंशन में डाल दिया है. अगर बात जिले की करें तो 2018 में यहां भाजपा ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था. जिले की सिंगरौली समेत चितरंगी और देवसर में बीजेपी के प्रत्याशी जीते थे. इस बार के चुनाव में देखना दिलचस्प होगा की 2023 विधानसभा चुनाव में क्या हालात बनते हैं. प्राकृतिक सुंदरता और जंगलों से घिरे हुए ऊर्जाधानी नगरी की तीनों सीटों पर बीजेपी अपना वर्चस्व बचा पाने में कामयाब होती है या फिर कांग्रेस और आप इन सीटों पर कब्जा करने से सफल होगी.
सिंगरौली विधानसभा सीट अभी बीजेपी के खाते में है और यहां से रामलल्लू वैश्य पार्टी के विधायक हैं. लगातार 2 बार चुनाव जीत चुके वैश्य का तोड़ निकालने के लिए कांग्रेस जीतोड़ कोशिश कर रही है. ब्राह्मण, कायस्थ और ठाकुर आबादी वाले इस इलाके में करीब 2.14 लाख वोट अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हैं.
विधानसभा चुनाव के नतीजे:
2008 चुनाव के नतीजे:साल 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से रामलल्लू वैश्य को टिकट मिला था. जबकि कांग्रेस से अशोक शर्मा चुनावी मैदान में थे. जहां बीजेपी के रामलल्लू वैश्य को 37552 वोट और कांग्रेस से राम अशोक शर्मा को 14462 वोट मिले थे. बीजेपी ने इस सीट पर जीत हासिल की थी.
2013 चुनाव के नतीजे:साल 2013 में यहां बीजेपी ने रामलल्लू वैश्य को अपना उम्मीदवार बनाया था, जबकि कांग्रेस से भुवनेश्वर प्रसाद सिंह को टिकट मिली थी. जहां चुनावी परिणाम में बीजेपी ने जीत हासिल की थी. बीजेपी के रामलल्लू वैश्य को 48293 वोट मिले थे, तो वहीं कांग्रेस से भुवनेश्वर प्रसाद सिंह को 37733 मत मिले थे.
2018 चुनाव के नतीजे:साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर रामलल्लू वैश्य पर भरोसा जताते हुए टिकट दिया. जबकि कांग्रेस ने रेणु शाह को उम्मीदवार बनाया. इस चुनाव में भी जीत बीजेपी की हुई. जहां बीजेपी के रामलल्लू वैश्य को 36706 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के रेणु को 32980 वोट मिले थे.
ब्राह्मण ही तय करते हैं भाग्य का फैसला:मध्य प्रदेश की राजनीति में अब तक माना जाता था कि ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या प्रभावशाली है, लेकिन ब्राह्मण वोट बैंक नहीं है. ब्राह्मण किसी भी मुद्दे पर एकजुट नहीं होते और किसी भी कारण से एक साथ एक तरफा वोटिंग नहीं करते, लेकिन सिंगरौली ने यह मिथक तोड़ दिया है.
नगर निगम भाजपा क्यों हारी- सिर्फ एक कारण: सिंगरौली नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी की हार की समीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है. यहां भाजपा के चुनाव हारने का सिर्फ एक कारण है, ब्राह्मणों की नाराजगी. मध्य प्रदेश का चुनावी रिकॉर्ड गवाह है कि ब्राह्मण कभी जातिवाद के आधार पर वोट नहीं करते. कैंडिडेट के ओबीसी होने से प्रॉब्लम नहीं थी, प्रॉब्लम कैंडिडेट से ही थी. वह कुछ जाति विशेष के वोट प्राप्त करने के लिए ब्राह्मणों के प्रति आपत्तिजनक बयान दे रहा था. जिसका वीडियो भी वायरल हुआ था. पार्टी ने उसे रोका नहीं, इसलिए ब्राह्मण नाराज हो गए. कहा जा रहा है ब्राह्मणों की नाराजगी अभी दूर नहीं हुई है, जिसका असर आने वाले विधानसभा चुनाव में देखा जा सकता है, लिहाजा बीजेपी विधायक राम लल्लू वैश्य का भविष्य खतरे में है.