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MP Seat Scan Chitrangi: चितरंगी सीट पर बार होता है बदलाव, बेरोजगारी और पिछड़ेपन का झेल रहा दंश, इस बार जनता किसे पहनाएगी जीत का ताज - एमपी सीट स्कैन चितरंगी

ध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टियां पूरी तरह सक्रिय नजर आ रही है. इस चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्य प्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे सिंगरौली जिले की चितरंगी विधानसभा सीट के बारे में. मध्य प्रदेश की यह एक ऐसी सीट जहां हर बार जनता बदलाव करती है. बेरोजगारी और पिछड़ेपन का दंश झेल रहा चितरंगी विधानसभा क्षेत्र, इस बार इस सीट पर जनता किसके सर सजाएगी ताज

MP Seat Scan Chitrangi
एमपी सीट स्कैन चितरंगी

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 29, 2023, 5:33 PM IST

सिंगरौली। मध्य प्रदेश की उर्जाधानी सिंगरौली जिले की चितरंगी विधानसभा सीट पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है. अमर सिंह यहां से विधायक हैं. इस सीट पर आदिवासियों वोटरों का दबदबा है. यहां भाजपा कांग्रेस के ही मुख्य राजनीतिक पार्टियों का दबदबा कायम रहा है. हर बार जनता यहां पर अपना विधायक लंबे समय से बदलती आ रही है. साल 2018 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी अमर सिंह को 86585 वोट और कांग्रेस प्रत्याशी सरस्वती सिंह को 27337 वोट मिले थे. बीजेपी के अमर सिंह ने कांग्रेस के सरस्वती सिंह को 59248 वोट से हराया था. करीब 2 लाख 12 हजार से ज्यादा मतदाताओं वाली यह सीट सीधी लोकसभा के अंतर्गत आती है. इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी बारी-बारी से चुनाव जीतते आए हैं. यही वजह है कि दोनों दल यहां से अपनी संभावनाएं तलाशने में जुटे हैं.

चितरंग सीट का सियासी समीकरण:बात अगर साल 2013 के विधानसभा चुनाव की करें तो, यहां से कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की थी. तब सरस्वती सिंह ने भाजपा के जगन्नाथ सिंह को करीब 9845 वोटों से चुनाव हराया था. कांग्रेस-भाजपा के अलावा यहां बीएसपी पार्टी का भी अच्छा जनाधार है. पार्टी ने पिछले चुनाव में 20 फीसदी वोटो पर सेंध लगाई थी. साल 2008 में यहां से बीजेपी के जगन्नाथ सिंह चुनाव जीते थे. इसके बाद साल 2013 में कांग्रेस के सरस्वती सिंह को जनता ने मौका दिया, लेकिन वर्ष 2018 में बीजेपी के अमर सिंह को जनता ने मौका दिया और विधायक चुने गये.

चितरंगी सीट का रिपोर्ट कार्ड

आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीट:चितरंगी सीट पर आदिवासी वोटरों का दबदबा है. यही वजह है कि यहां आदिवासी वर्ग के लिए सीट भी आरक्षित कर दी गई है. चितरंगी विधानसभा सीट में एक बड़ा संकट यह भी है कि भाजपा कांग्रेस दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच में एक जुटता नहीं है. यहां बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में गुटबाजी चरम पर है. एक ही पार्टियों में कई दल बंटे हुए हैं. इसका असर चुनाव पर भी देखने को मिलता है.

2008 में अस्तित्व में आई यह विधानसभा सीट:2002 के परिसीमन आयोग के आधार पर 2008 में चितरंगी विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी. चितरंगी सीट पर 2008 में पहली बार यहां विधानसभा चुनाव हुआ. वैसे तो चितरंगी विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व है. इस सीट पर दो बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है. गठन के बाद अभी तक 3 बार इस सीट पर चुनाव हुए हैं. 2023 का विधानसभा चुनाव चितरंगी सीट पर चौथी बार होगा. इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी बारी-बारी से जीत हासिल की है. 2018 में चितरंगी सीट से बीजेपी के अमर सिंह ने जीत दर्ज की थी, वहीं 2013 में कांग्रेस की सरस्वती सिंह ने जीत कांग्रेस के हाथों में सौंपी, इससे पहले 2008 में बीजेपी के जगन्नाथ सिंह ने विजय हासिल की थी. यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच होता है. जबकि बीएसपी यहां त्रिकोणीय मुकाबला बनाती है.

साल 2018 का रिजल्ट

कृषि पर आधारित है यहां की ज्यादातर आबादी:वर्तमान समय में सिंगरौली जिले के चितरंगी विधानसभा का जो क्षेत्र है, वह कृषि पर आधारित है. यहां की ज्यादातर जनता क्षेत्र पर आधारित है. जिसे लोगों का जीवन यापन हो रहा है. सरकार के द्वारा किसानों के लिए चल रही योजनाओं से ही यहां के लोग लाभान्वित हैं और कृषि आदि से ज्यादा आबादी का जीवन यापन का मुख्य कारण है.

बेरोजगारी के कारण क्षेत्र से दूसरे राज्यों में पलायन को मजबूर युवा वर्ग: वहीं चितरंगी विधानसभा क्षेत्र का जो प्रमुख मुद्दा है. वह बेरोजगारी है, जिला मुख्यालय से तकरीबन 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चितरंगी विधानसभा का क्षेत्र औद्योगिक इकाइयां ना होने के कारण यहां के ज्यादातर युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं. स्थानियों की माने तो यहां के ज्यादातर युवा पलायन के लिए दूसरे राज्यों में जाने को मजबूर हैं. जिसका सबसे बड़ा कारण यह है कि क्षेत्र में किसी तरह की औद्योगिक इकाई और रोजगार का साधन नहीं होने की वजह से इस तरह की स्थिति पैदा होती है. कहने को तो सिंगरौली जिला ऊर्जाधानी के नाम से जाना जाता है. लेकिन चितरंगी विधानसभा का जो क्षेत्र है. वह अभी भी पिछड़ेपन का दंश झेल रहा है. शिक्षा लेने के बाद यहां के युवा अन्य प्रदेशों में जाकर नौकरी कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं.

गरीबी और भुखमरी से परेशान: चितरंगी विधानसभा क्षेत्र पिछड़ापन होने के कारण यहां पर ज्यादातर लोग गरीबी और भुखमरी की से भी परेशान हैं. यहां कृषि पर आधारित लोगों का जीवन है. लोगों के पास अन्य कोई साधन नहीं है. जब भी बेमौसम बरसात या कृषि के कार्य में नुकसान होता है तो गरीबी और भुखमरी की स्थिति हो जाती है. ऐसे में क्षेत्र की जनता को रोजगार का साधन और किसानों को कृषि कार्य के लिए सुविधाओं का बड़ा इंतजार है.

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चितरंगी सीट पर संभावित प्रत्याशी:विधानसभा चुनाव 2023 में संभावित प्रत्याशियों की दौड़ में सर्वप्रथम मौजूदा विधायक अमर सिंह हैं. जिनकी चितरंगी विधानसभा से बड़ी जीत हुई थी. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के कारण आदिवासियों में अच्छी पैठ और लोकप्रिय नेताओं में शामिल हैं. इनके चचेरे बड़े भाई पूर्व मंत्री स्वर्गीय जगन्नाथ सिंह थे, जिनकी काफी लोकप्रियता थी. जिसकी वजह से जनता की पहली पसंद बने हुए हैं. बात करें संभावित प्रत्याशियों की सूची में तो एक नाम पूर्व मंत्री स्वर्गीय जगन्नाथ सिंह के पुत्र बड़े बेटे रविंद्र सिंह डॉक्टर की भी है. बताया जा रहा है इस बार विधानसभा में उनकी प्रबल दावेदारी मानी जा रही है. पूर्व मंत्री के बेटे होने के कारण और युवाओं में व चितरंगी क्षेत्र के आदिवासियों में इनकी भी खासी अच्छी पैठ है. साथ ही उनकी पत्नी राधा सिंह जो की पूर्व जिला पंचायत सदस्य रही हैं. इस बार एक ही परिवार से दो संभावित प्रत्याशी चितरंगी से भाजपा के लिए मैदान में है.

चितरंगी सीट के मतदाता

वहीं कांग्रेस से प्रबल दावेदार और संभावित प्रत्याशियों की सूची में सरस्वती सिंह जो कि कांग्रेस से पूर्व विधायक रह चुकी हैं. 2013 से 18 के दरमियान चितरंगी विधानसभा में कांग्रेस पार्टी की विधायक थीं. वे 2018 का चुनाव व हार गई थीं, लेकिन इस बार उनकी जनता में लगातार पैठ बनी हुई है. पूर्व सांसद और कांग्रेस पार्टी के विंध्य क्षेत्र के बड़े आदिवासी नेताओं में एक नाम मानिक सिंह का है जो कि कांग्रेस पार्टी के पूर्व सांसद रह चुके हैं और लोकप्रिय आदिवासी नेता होने के कारण उनकी छवि आज भी जनता में है और आदिवासी वोटर में अपनी पैंठ बनाने में अब तक सक्षम रहे हैं चितरंगी विधानसभा से कांग्रेस पार्टी के प्रमुख दावेदारों में मानिक सिंह का नाम आ रहा है, माना जाता है कि मानिक सिंह आदिवासियों में सबसे ताकतवर नेताओं में से एक हैं

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