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सिंगरौली में 4 प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर, बीजेपी के सिर फिर सजेगा ताज या बिगड़ेगा खेल

Interesting election contest in Singrauli: सिंगरौली को मध्य प्रदेश की ऊर्जाधानी के तौर पर जाना जाता है. चुनाव प्रचार थमने के साथ ही राजनैतिक सरगर्मी बढ़ चुकी है. बीजेपी-कांग्रेस के साथ यहां बसपा और आम आदमी पार्टी भी जोर लगा रही है. देखा जाए तो यहां मुकाबला अब 4 प्रत्याशियों के बीच हो गया है. भाजपा से 3 बार के लगातार विधायक रामलल्लू वैश्य का टिकट कटने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है. किसका पलड़ा भारी है किसका कमजोर. देखिए यह खास रिपोर्ट...

MP Election 2023
सिंगरौली में चतुष्कोणीय हुआ मुकाबला

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 16, 2023, 5:07 PM IST

Updated : Nov 16, 2023, 10:45 PM IST

सिंगरौली।भारतीय जनता पार्टी का गढ़ कहे जाने वाला सिंगरौली विधानसभा का चुनाव दिलचस्प मोड़ पर आ चुका है. हर रोज नए-नए समीकरण बनते जा रहे हैं. इस बार भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के अलावा बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी भी अहम रोल में है. इन्हीं दोनों पार्टियों की वजह से सिंगरौली विधानसभा का यह मुकाबला 4 प्रत्याशियों के बीच हो चुका है. स्थिति यह है कि अब तक पूरे क्षेत्र में यह साफ नहीं हो रहा की वोटर किधर जा रहे हैं. चारों में कोई किसी से कमजोर नहीं है.

भाजपा प्रत्याशी रामनिवास शाह

टिकट बदलने से बीजेपी में नाराजगी!:सिंगरौली विधानसभा से तीन बार के मौजूदा विधायक रामलल्लू वैश्य का टिकट काटकर भारतीय जनता पार्टी ने इस बार रामनिवास शाह को टिकट दे दिया है. शाह भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष और संगठन के अच्छे नेता हैं. लेकिन वर्तमान विधायक का टिकट कटने से विधायक समर्थकों में नाराजगी देखी जा रही है. खुद विधायक भी इस फैसले को लेकर पूरी तरह से असंतुष्ट हैं जिसकी वजह से प्रत्याशियों की लाइन में खड़े लोग भाजपा प्रत्याशी के चुनाव प्रचार से दूरी बनाते दिखे. खुद सिंगरौली विधायक रामलल्लू वैश्य ने प्रेस वार्ता कर यह कहा था कि मैं पार्टी से इस्तीफा तो नहीं दे रहा हूं लेकिन इस चुनाव से दूरी बना ली हैं. इसमें मैं पार्टी के साथ खड़ा नहीं रहूंगा. इसके बाद यह लड़ाई बीजेपी के पक्ष से कमजोर हो चुकी है.

कांग्रेस से प्रत्याशी रेनू शाह

कांग्रेस से रेनू शाह मैदान में :कांग्रेस ने यहां से पिछले चुनाव में दूसरी नंबर पर रहीं रेनू शाह पर एक बार फिर भरोसा जताया है. पिछले यानि 2018 के चुनाव में राम लल्लू को 24.63 प्रतिशत मत हासिल हुए थे तो वहीं कांग्रेस की रेनू शाह को 22.13 प्रतिशत वोट मिले थे और वह दूसरे नंबर पर रहीं थीं. कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व महापौर भी हैं उसके साथ-साथ पूरे प्रदेश में परिवर्तन की लोग बात कर रहे हैं जिसकी वजह से कांग्रेस अपना मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी से ही मान रही है.

आम आदमी पार्टी से प्रत्याशी रानी अग्रवाल

आप पलट सकती है बाजी!:इस बार विधानसभा चुनाव के मुकाबले में सबसे प्रबल दावेदार आम आदमी पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान मेयर रानी अग्रवाल को माना जा रहा है. निकाय चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को पटखनी देकर महापौर बनीं थी और आम आदमी पार्टी की ताकत को सिंगरौली में दिखाया था. अब वह विधानसभा प्रत्याशी बनकर उतरी हैं जिनके लिए हाल ही में अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने चुनावी रोड शो कर भारी भरकम भीड़ के साथ शक्ति प्रदर्शन किया था. जिससे भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी दोनों के समीकरण बिगड़ते नजर आए.

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आपको बता दें कि रानी अग्रवाल पहले बीजेपी कार्यकर्ता थीं और पिछले चुनाव 2018 में उन्होंने बीजेपी से टिकट की मांग की थी लेकिन उन्हें दरकिनार कर दिया गया. इसके बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली थी. वर्ष 2018 में भी 21.59 प्रतिशत वोट हासिल कर तीसरे नंबर पर रहीं थीं.

बसपा प्रत्याशी चंद्र प्रताप विश्वकर्मा

बसपा से कौन दे रहा चुनौती: टिकट वितरण के बाद एक और कार्यकर्ता में नाराजगी देखी गई. बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे और निकाय चुनाव में बीजेपी के मेयर प्रत्याशी रहे चंद्र प्रताप विश्वकर्मा विधानसभा टिकट मांग रहे थे लेकिन बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. टिकट नहीं मिलने पर वह बागी हो गए और बसपा का दामन थाम लिया. अब वह बसपा से चुनावी मैदान में है. इस समय स्थिति यह है कि चंद्र प्रताप विश्वकर्मा ने भारतीय जनता पार्टी की चिंता बढ़ा दी है.कहा तो यह भी जा रहा है कि चंद्र प्रताप विश्वकर्मा सबसे मजबूत प्रत्याशियों में एक हैं.

कौन किस पर है भारी:इन चारों प्रत्याशियों की स्थिति देखकर यह आंकलन करना मुश्किल है कि कौन किस पर भारी है. एक ओर वर्तमान विधायक की नाराजगी ने बीजेपी की परेशानी बढ़ाई हुई है तो वहीं बसपा प्रत्याशी भी बीजेपी छोड़कर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी पिछले चुनाव में रामलल्लू वैश्य को कड़ी चुनौती दे चुकी हैं. आम आदमी पार्टी प्रत्याशी रानी अग्रवाल तो वर्तमान मेयर हैं जिन्होंने निकाय चुनाव में अपने दम पर चुनाव जीतकर बाजी पलट दी थी. ऐसे में अब पूरा दारोमदार वोटर्स पर है कि वे किसे अपना नेता चुनते हैं. वहीं मतदाता भी पशोपेश में हैं वह भी अभी तक यह तय नहीं कर पा रहा है कि आखिरकार वोट किसको देना है.

ब्राह्मण वर्ग कर सकता है फैसला:इस चुनाव में देखा जाए तो ब्राह्मण वर्ग से किसी मुख्य दल ने उम्मीदवार नहीं उतारा है जबकि विधानसभा में सबसे ज्यादा ब्राह्मण वोटर्स हैं. अब राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो सिंगरौली विधानसभा में ब्राह्मण वर्ग एकजुटता दिखाकर किसी एक पार्टी की ओर जाता है तो निश्चित रूप से उस पार्टी का विधायक बनना तय माना जाएगा. जिसका उदाहरण ब्राह्मण वर्ग 2022 के निकाय चुनाव में पेश कर चुका है. लेकिन फिर भी यह स्पष्ट नहीं है कि इस बार सिंगरौली विधानसभा की जनता का मूड क्या है और किस ओर रुख रहेगा. यह तो नतीजे बताएंगे की जनता का समर्थन किसको कितना मिला और किसके सिर सजेगा सिंगरौली विधानसभा से विधायक का ताज.

Last Updated : Nov 16, 2023, 10:45 PM IST

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