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ऊर्जाधानी की देवसर सीट की रणभूमि में अलग है माहौल, 80 साल के ‘नाना’ और 27 साल की 'नातिन' में मुकाबला - देवसर सीट पर नाना नातिन में मुकाबला

किसी भी राज्य में चुनाव हो तो वहां अलग-अलग किस्से और कहानियां सुनने मिलती है. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी कुछ ऐसी ही किस्से सुनने मिल रहे हैं. वहीं सिंगरौली के देवसर में कुछ अलग ही माहौल देखने मिल रहा है. यहां 80 साल के नाना और 27 साल की नातिन के बीच मुकाबला है.

MP Election 2023
चुनावी रण में नाना नातिन

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 3, 2023, 4:45 PM IST

सिंगरौली। मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए 17 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. चुनावी सरगर्मी के बीच सिंगरौली जिले की देवसर विधानसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है. 80 साल के नाना और 27 साल की नातिन के बीच यह मुकाबला होगा. कांग्रेस ने सबसे ज्यादा उम्र के उम्मीदवार वंशमणि प्रसाद वर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है, तो वहीं समाजवादी पार्टी से वंशमणि की नातिन डॉक्टर सुषमा प्रजापति भी चुनावी मैदान के दंगल में कूद गई हैं. डॉक्टर सुषमा सबसे कम उम्र की महिला प्रत्याशी हैं, जो विधायक बनने की चाह में डॉक्टरी पेशे से अब विधायक बनने की सफर में निकल पड़ी हैं.

पेशे से डॉक्टर हैं प्रत्याशी सुषमा प्रजापति: डॉक्टर सुषमा प्रजापति ने कहा कि पिछले कई वर्षों से उनके पिता डॉक्टर एचएल प्रजापति डॉक्टरी पेशे के साथ-साथ राजनीति में भी थे. जनपद पंचायत अध्यक्ष भी रहे. 2018 की विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने चुनाव लड़ा था, लेकिन कुछ लोगों की वजह से उन्हें राजनीति का शिकार होना पड़ा. उनके ऊपर कई मुकदमे लाद दिये गए. जिस वजह से अब वह चुनाव नहीं लड़ सकते हैं, इसलिए पिता ने मुझे राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया. मैं पेशे से एक डॉक्टर हूं और अब अपने पेशे के साथ राजनीति भी करना चाहती हूं.

प्रचार करती सपा प्रत्याशी सुषमा प्रजापति

लिहाजा विधानसभा का चुनाव लड़ रही हूं. यहां बेरोजगारी, प्रदूषण, और यहां के ज्वलंत मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रही हूं और उनका आशीर्वाद मांग रही हूं. देवसर विधानसभा सीट से ही हमारे नाना वंशमणि वर्मा भी कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ रहे है. मैं भी समाजवादी पार्टी से लड़ रही हूं. जनता का आशीर्वाद हमें जरूर मिलेगा.

आठवीं बार किस्मत आजमाएंगे वंशमणि:सिंगरौली जिले की देवसर विधानसभा सीट पर इस बार बीजेपी ने मौजूदा विधायक सुभाष वर्मा का टिकट काटकर राजेन्द्र मेश्राम को चुनावी मैदान में उतारा है. तो वहीं कांग्रेस ने वंशमणि वर्मा को टिकट दिया है. वंशमणि वर्मा आठवीं बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. 80 साल के वंशमणि प्रसाद वर्मा ने पहली बार 1977 में चुनावी ताल ठोकी थी. वो तीन बार विधायक रह चुके हैं. 1980 और 1993 में कांग्रेस फिर 2003 में वो समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे.

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12 प्रत्याशी विधायक बनने की होड़ में: सूबे में जब कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई तो वंशमणि को मंत्री बनाया गया. 2013 के चुनाव में उन्होंने निर्दलीय और फिर 2018 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा. दोनों ही बार उन्हें बीजेपी उम्मीदवार के हाथों हार का सामना करना पड़ा. 2013 में राजेंद्र मेश्राम और 2018 में सुभाष वर्मा ने उन्हें हराया. अब एक बार से चुनावी मैदान में जंग जीतने की होड़ में कूद पड़े हैं. हालांकि इस बार इस विधानसभा सीट से 12 उम्मीदवार विधायक बनने की होड़ में चुनावी दंगल में हैं. 3 दिसंबर को परिणाम के बाद तय होगा कि किसकी जीत और किसकी हार होगी.

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