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रिलायंस कोल माइंस के विस्थापितों को नहीं मिल रहा न्याय, साझा किया दर्द

रिलायंस कोल माइंस के विस्थापितों को कंपनी नौकरी नहीं दे रही, जबकि जमीन के बदले कंपनी ने बैगा आदिवासियों को भत्ता और नौकरी देने की बात कही थी.

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Published : Nov 14, 2019, 2:24 PM IST

रिलायंस कोल माइंस के विस्थापितों को नहीं मिल रहा न्याय

सिंगरौली। एक तरफ जहां कमलनाथ सरकार प्राइवेट कंपनियों में 75 प्रतिशत क्षेत्रीय लोगों को नौकरी देने की बात कह रही है, तो वहीं दूसरी तरफ प्राइवेट कंपनियां लोगों की जमीन लेने के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं दे रही और न ही किसी तरह का भत्ता ही दे रही है. ताजा मामला रिलायंस कोल माइंस कंपनी से सामने आया है.

रिलायंस कोल माइंस के विस्थापितों को नहीं मिल रहा न्याय

रिलायंस कोल माइंस के विस्थापित नौकरी और भत्ता पाने के लिए कई बार कंपनी के चक्कर लगा चुक हैं, लेकिन उनकी सुनवाई अब तक नहीं हुई है. उल्टा कंपनी ने कुछ विस्थापितों को नौकरी से बाहर तक कर दिया. रिलायंस कोल माइंस कंपनी ने करीब 10 साल पहले कई लोगों की जमीन ली थी और उन्हें आजीवन भत्ता और नौकरी देने का वादा करते हुए पुनर्वास नीति का पालन करने की बात कही थी.

करीब 10 साल बीत जाने के बाद भी आदिवासी बैगा विस्थापितों को भत्ता, नौकरी और पुनर्वास के नाम पर कुछ भी नहीं दिया गया, जिससे उनकी रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है. पीड़ितों का आरोप है कि कई बार रिलायंस के उच्च अधिकारियों से बातचीत भी की गई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. पीड़ितों ने बताया कि कंपनी ने जमीन लेते समय नौकरी और पुनर्वास नीति के तहत बदले में जमीन देने का वादा भी किया था, पर अब कंपनी अपना वादा भूल गई.

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