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दस हजार की रिश्वत लेते पकड़ी गई महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी - Women child development project officer took bribe in Majhauli

सीधी जिले की मझौली जनपद परिषद में लोकायुक्त टीम ने कार्रवाई करते हुए महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी ललिता मिश्रा को उनके कार्यालय में दस हजार की रिश्वत लेते पकड़ा है.

sidhi
महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी

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Published : Jan 11, 2021, 7:14 PM IST

सीधी। जिले की जनपद परिषद मझौली में लोकायुक्त टीम द्वारा आज एक पखवाड़े के अंदर दूसरी बड़ी कार्रवाई की गई, जिसमें महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी ललिता मिश्रा को परियोजना कार्यालय में ही दस हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया.

क्या है मामला ?

सीधी की मझोली जनपद क्षेत्र के महिला बाल विकास में परियोजना अधिकारी दस हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों लोकायुक्त के हत्थे चढ़ गई. शिकायतकर्ता अरुणा साहू, धनौली में आंगनवाड़ी केंद्र क्रमांक 04 में बतौर आगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में पदस्थ है और उसी गांव में शिकायतकर्ता की दूसरी बहन और मौसी भी कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रही हैं. शिकायतकर्ता के परिजनों को स्व सहायता समूह के माध्यम से आंगनवाड़ी केंद्रों में सांझा चूल्हा योजना के तहत खाना-नाश्ता देने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है, इसी बात को लेकर परियोजना अधिकारी द्वारा बार-बार उन लोगों पर दबाव बनाया जाता रहा था कि एक ही परिवार से तीन लोग आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रुप में सांझा चूल्हा योजना का लाभ ले रहे हो, इसलिए प्रत्येक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से दो-दो हजार के हिसाब से छः हजार औऱ सांझा चूल्हा के नाम पर चार हजार, कुल दस हजार रुपए प्रतिमाह देने होंगे.

लगातार बनाए जा रहे दबाव से व्यथित होकर शिकायतकर्ता ने लोकायुक्त कार्यालय रीवा में इसकी शिकायत किया और उसी के आधार पर लोकायुक्त टीम प्रमुख प्रवीण सिंह परिहार, डीएसपी सहित 16 सदस्यीय टीम द्वारा मझौली परियोजना कार्यालय में महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी को रिश्वत लेते रंगे हाथों दबोच लिया.

बहरहाल शिकायतकर्ता ने बताया कि परियोजना अधिकारी द्वारा उन लोगों के पर इस बात पर दबाव बनाया जाता था कि उनके एक ही परिवार से तीन लोग आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं जो गलत है, और इसलिए रिश्वत देना पड़ेगा, नहीं तो उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा, इसी से परेशान होकर उन्होंने लोकायुक्त की मदद ली. ऐसे में अब में देखना होगा कि ऐसे रिश्वतखोर अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होती है, या लीपापोती कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है.

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