सीधी।कहते हैं प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है. आप में प्रतिभा है तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है, कुछ इसी तरह की प्रतिभा सीधी जिले में देखने मिली. जहां एक 6 साल के बच्चे ने दोनों पैर से दिव्यांग होने के बाद भी अपने कदम नहीं रोके. हम बात कर रहे हैं सीधी के संस्कृत के छोटे कौटिल्य कहे जाने वाले अराध्य तिवारी की. महज 6 वर्ष की उम्र में अराध्य को संस्कृत के 400 श्लोक और स्वस्ति वाचन सहित वेद याद हैं. इतना ही नहीं छोटे कौटिल्य अपने से बड़े उम्र के बच्चों को स्कूल में पढ़ाने का भी कारनामा करते हैं.
जन्म से ही दिव्यांग हैं आराध्य
सीधी जिले के संस्कृत के कौटिल्य कहे जाने वाले आराध्य तिवारी का जन्म 15 जुलाई 2015 को ग्राम फुलवारी तहसील बहरी जिला सीधी में हुआ था. आराध्य के जन्म लेते ही परिवार में खुशियां आई और सभी ने आराध्य का स्वागत किया. आराध्य जन्म से ही दोनों पैरों से दिव्यांग थे. दोनों पैर आपस में मुड़े हुए थे. बातचीत के दौरान उनके नाना मुद्रिका प्रसाद शुक्ला बताते हैं की बालक के जन्म लेते ही पता चला था कि वह दोनों पैर से दिव्यांग हैं. मूल रूप से आराध्य कंदुई वाराणसी के रहने वाले हैं, उनके पिता भास्कर तिवारी गुजरात में प्राइवेट नौकरी करते हैं तो माता आराधना देवी गृहणी हैं. आराध्य अपने माता-पिता के अकेले संतान हैं.
सनातन धर्म की ओर है विशेष झुकाव
आराध्य को शुरू से ही सनातन धर्म और संस्कृत की ओर विशेष रूचि रही है. जिसे उनके नाना ने पढ़ाया. नाना के मार्गदर्शन में ही पूजा पाठ के दौरान आराध्य को संस्कृत के 400 श्लोक, स्तुति वाचन गणेश वंदना सहित कई संस्कृत के ज्ञान कंठस्थ हुए.