सीधी। आजादी के 70 साल से ज्यादा का समय गुजर जाने के बाद भी सीधी के कई गांव आज भी विकास से कोसों दूर नजर आते हैं. इन गांव में सड़क, बिजली, पानी और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीणों को जिंदगी की जद्दोजहद करनी पड़ रही है. चुनाव आने पर जनप्रतिनिधि गांव जाते हैं और विकास के कई दावे करते हैं. लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई पीछे मुड़कर नहीं देखता है. ऐसा ही हाल सीधी से महज 8 किलो मीटर दूर बसे एक आदिवासी बस्ती का है. जहां लोग पानी, सड़क और बिजली को तरस रहे हैं.
बिजली, पानी की आस में बीत गए साल
इन ग्रामीणों को न तो साफ पीने का पानी नसीब हो रहा है और न बिजली मिल रही है. ऐसे में कह सकते हैं कि विकास के इंतजार में ग्रामीण आज भी टकटकी लगाकर इंतजार कर रहे हैं. दरअसल शहर से महज आठ किलोमीटर दूर बसा यह बैरिहा पूर्व ग्राम पंचायत है. जो पहाड़ों ओर जगंलों के बीच स्थित है. यहां करीब 6 सौ आदिवासी ग्रामीण सदियों से निवास करते आ रहे हैं. यहां न सड़क है न बिजली है, न पीने के लिए समुचित पानी की व्यवस्था है. ग्रामीण महिलाएं दो किलोमीटर दूर पानी भरने जाती हैं. ग्रामीणों के मुताबिक गांव में एक दो हैंडपंप जरूर लगे हैं, लेकिन पानी की जगह वे हवा उगलते हैं. लिहाजा ग्रामीण महिलाएं एक गड्ढे से पानी लेकर पीने को मजबूर हैं.
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