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सीधी बस हादसा: जान जोखिम में डालकर रेस्क्यू करने वाले जवानों का सम्मान - bus accident

सीधी बस हादसे में अपनी जान गंवाने वाले मृतकों को एसपी और कलेक्टर ने श्रद्धांजलि दी, साथ ही रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम का सम्मान किया.

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मृतकों को श्रद्धांजलि

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Published : Feb 22, 2021, 4:59 PM IST

सीधी। 16 फरवरी का खौफनाक मंजर आज भी लोगों के जहन में ताजा है. रामपुर नैकिन के सरदा गांव में एक बस नहर में गिर गई थी. जिसके बाद पूरे इलाके में मातम पसर गया. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने नहर में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया. कुछ लोगों को तत्काल वहां से निकाल लिया गया, लेकिन ये नहर 54 लोगों की कब्रगाह बन गई. एक के बाद एक लाशें नगर से निकलती गई. इस रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने अपनी जोखिम में डालकर मृतकों के शवों को बाहर निकला. यह रेस्क्यू लगभग पांच दिन तक चला.

  • NDRF और SDRF की टीम का सम्मान

सीधी बस हादसे के बाद जिले के समाज सेवी डॉ. अनूप मिश्रा ने एक सभा का आयोजन किया. जिसमें मृत आत्माओं की शांति के लिए दुआ मांगी गई, साथ ही रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम का सम्मान किया गया. इस सभा में कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी, पुलिस अधीक्षक पंकज कुमावत, एलबी कोल जिला सेनानी होमगार्ड, वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. राजेश मिश्र, शिव शंकर मिश्र सरस सहित कई लोग इस सभा में शामिल हुए.

नहर के तेज बहाव के चलते रेस्क्यू में आ रही थी परेशानी

इस मौके पर जिला कलेक्टर रवीन्द्र चौधरी ने कहा कि नहर में बस गिरने की घटना बेहद दुखद है. काफी संख्या में लोग इस हादसे में शिकार हुए हैं. जिस स्थान पर यह घटना घटी वहां कार्य करने में भी काफी कठिनाई हुई. नहर में पानी का तेज बहाव होने के कारण कार्य प्रभावित भी हुआ. लेकिन एनडीआरएफ और एसडीआरएफ सहित जिला पुलिस बल ने स्थानीय लोगों के साहस के चलते अधिक से अधिक लोगों के शव उसी दिन बाहर निकाल लिए गए. जो लोग बह गए थे. उनकी तलाश में 5 दिनों तक काफी मेहनत करनी पड़ी. 7 लोगों को जिंदा बचा लिया गया. लेकिन ज्यादातर लोगों की मौत हो गई. जिसका उन्हे मलाल है.

इस तरह की घटना कभी नहीं देखी: कुमावत

पुलिस अधीक्षक पंकज कुमावत ने कहा कि मैंने अपने जीवन में इस तरह की घटना कभी नहीं देखी. 16 फरवरी को सुबह फोन आया कि एक बस नहर में गिर गई. इसके बाद इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई. घंटे भर के भीतर मुख्यमंत्री एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के फोन आने लगे. तब तक मैं कुछ बताने की स्थिति में नहीं था. जब मौके पर पहुंचा. तो स्थिति देखकर कुछ समझ में नहीं आ रहा था. नहर में बस नजर नहीं आ रही थी. संसाधन भी हमारे पास पर्याप्त नहीं था. फोन भी बराबर काम नहीं कर रहा था. नहर के दोनों तरफ करीब 10 हजार लोगों की भीड़ और ऐसे में चीख पुकार ही सुनने को मिल रही थी. इसी बीच रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ.

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