सीधी।सीधीशहर को मिनी स्मार्ट सिटी बनाने की बात कही जाती है, लेकिन यहां की यातायात व्यवस्था उन बातों को गलत साबित करती नजर आती है. शहर के चौराहों पर ट्रैफिक लाइटें तो लगी हैं, लेकिन वो कभी सिग्नल नहीं देती. यहां के चौराहों में सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे हैं. कहीं लगे भी हैं तो वे चालू नहीं हैं. यानि जब शहर के ट्रैफिक के ही यह हालत होंगे तो शहर स्मार्ट सिटी कैसे बनेगा.
सीधी शहर आज भी एक कस्बा शहर नजर आता है. शासन जरूर शहर को मिनी स्मार्ट सिटी से सीधी को बनाने की बात कहता है लेकिन फिलहाल यहां की तस्वीरें ऐसा कुछ भी बयां नहीं करती हैं. बेतरतीब ट्रैफिक व्यवस्था के कारण आए दिन घंटों चौराहों पर जाम लगा रहता है. गांधी चौक, अस्पताल चौक, सम्राट चौक सहित कई चौराहों पर लगे ट्राफिक सिग्नल सिर्फ शो पीस बनकर रह गए हैं. शुरूआत में जब सिग्नल लगाए गए थे, तो कुछ दिनों तक तो वे जले जिससे ट्रैफिक व्यवस्था कुछ हद तक पटरी पर दौड़ती रही. लेकिन पिछले तीन-चार सालों से चौक-चौराहों पर सिग्नल ही नहीं जल रहे हैं.
बंद पड़े हैं CCTV
CCTV फुटेज काफी हद तक कई मामलों में पुलिस के लिए एक कारगार सबूत साबित होते हैं. पुलिस को अपराधियों तक पहुंचने में काफी हद तक मदद भी मिलती है लेकिन शहर का दुर्भाग्य है कि यहां ये सौगात नसीब नहीं हो रही है. बदहाल हो चुकी शहर की यातायात व्यवस्था से हादसे भी बढ़ रहे हैं. लॉकडाउन में मार्च के महीने से लेकर अगस्त महीने तक दो सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें एक की जान गई. वहीं अगस्त के महीने से लेकर सितंबर तक तीन हादसे शहर में हुए हैं, जिनमें तीनों घटनाओं में तीन लोगों की जान जा चुकी है. यदि यातायात व्यवस्था पटरी पर सही दौड़ रही होती तो यह हादसे शायद नहीं होते.