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ग्राहकों के इंतजार में बीत जाता है दिन, अब इन व्यापारियों को घर चलाने की चिंता - sidhi district administration

सीधी जिले की जहां करीब एक लाख आबादी के बीच करीब 600 छोटे व्यवसाई चाय फुल्की समोसा चना बेचकर अपने परिवार का गुजारा कर रहे थे, लेकिन पिछले 4 महीने से इनके सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है.

Lockdown
लॉकडाउन की मार

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Published : Jul 26, 2020, 5:54 PM IST

Updated : Jul 26, 2020, 10:52 PM IST

सीधी। कोरोना के कहर से पूरे देश में लगे लॉकडाउन की वजह से न सिर्फ देश को आर्थिक नुकसान हुआ है बल्कि छोटे तबके के व्यवसायी भी अब बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर हो गए हैं. दरअसल चाय, गोलगप्पे, समोसा लगाकर अपना व्यवसाय करने वाले इन व्यवसायियों के आगे अब दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त करना मुश्किल हो रहा है. ये छोटे व्यापारी शहर में अलग-अलग जगहों पर व्यवसाय करके अपने परिवार का गुजारा कर रहे थे, लेकिन कोरोना वायरस इनपर मुसीबत बनकर टूट पड़ा है.

अब घर चलाने की चिंता

छोटे व्यापारियों की बढ़ी परेशानी

अब बात करते हैं सीधी जिले की जहां करीब एक लाख आबादी के बीच करीब 600 छोटे व्यवसाई चाय फुल्की समोसा चना बेचकर अपने परिवार का गुजारा कर रहे थे, लेकिन पिछले 4 महीने से इनके सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है. इन व्यवसायियों का कहना है कि लॉकडाउन के पहले अच्छा खासा कमा कर अपने परिवार का गुजारा कर लेते थे, इसके साथ ही बच्चों की पढ़ाई भी हो जाती थी. लेकिन अब दिन दिन भर ग्राहकों का इंतजार करना पड़ता है अब तो इनको खर्चा निकालना भी मुश्किल होता है.

ग्राहकों के इंतजार में बीत जाता है दिन
इतना ही नहीं अगर इन व्यवसायियों की मानें तो लॉकडाउन में कोई बाहर नहीं निकलता है, और ना ही चाय पीते हैं. ना ही बाहर लोग किसी तरह का नास्ता करते हैं, जिसके चलते इनका बना बनाया मटेरियल भी खराब हो जाता है. ये व्यापारी ग्राहकों की इंतजार में टकटकी लगाकर दिन भर बैठे रहते हैं शाम को जब ये अपने घर जाते हैं, तो जमा पूंजी में इन्हें महज उदासी और घर चलाने की चिंता नसीब होती है.

घर चलाने का संकट

बहरहाल कोरोना वायरस ने ना सिर्फ किसानों और गरीबों को बल्कि छोटे व्यवसाय चलाकर अपने परिवार का पेट पाल रहे इन व्यवसायियों को भी आर्थिक बदहाली की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है. दो वक्त की रोटी की व्यवस्था करना भी अब इनके लिए मुश्किल हो रहा है. ऐसे में अब ये सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

Last Updated : Jul 26, 2020, 10:52 PM IST

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