सीधी। प्रदेश सरकार गांव-गांव में शिक्षा पहुंचाने के दावे करती है, जिसके लिए कई अभियान भी चलाए जा रहे हैं, लेकिन जिले के सेमरिया कस्बे से लगे पोड़ी गांव में शिक्षा की बदहाल हालत इन सभी दावों पर सवालिया निशान छोड़ जाती है. आलम ये है कि गांव के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में जगह-जगह गंदगी फैली हुई है. क्लासरूम में बच्चों के साथ कुत्ते भी मौजूद रहते हैं. ऐसे में नौनिहालों के साथ कोई दुर्घटना हो जाए तो कौन जिम्मेदार होगा.
सरकारी स्कूल में फैलीं अव्यवस्थाएं इतना ही नहीं स्कूल में बाउंड्री वॉल नहीं होने से असामाजिक तत्वों ने स्कूल को अपना अड्डा बना लिया है. जिसकी गवाही परिसर की दीवारें दे रहीं हैं. स्कूल में दो शौचालय बने तो जरूर हैं, लेकिन सांप के डर से उनमें ताला डला रहता है.
वहीं मिड डे मील के तहत दिए जाने वाले खाने की तो कहानी ही कुछ और है. सब्जी में पानी के अलावा कुछ दिखाई ही नहीं देता. छोटे-छोटे बच्चे खाने के बाद खुद थाली धोने को मजबूर हैं. इस बारे में जब रसोईया लक्ष्मी बाई से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि अब जैसा मिलता है, वैसा काम कर देते हैं, जबकि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुनीता ठाकुर का कहना है कि अब समूह वाले लोग नहीं आते, तो थालियों को कौन धोएगा. बच्चों को ही उनकी थाली धोनी पड़ेगी.
वहीं स्कूल के हेड मास्टर आर के प्रजापति से जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने भी अपना पल्ला झाड़ लिया. सरकार शिक्षा पर करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन गांव के स्कूलों की ऐसी हालत सोचने पर मजबूर कर देती है.