सीधी। देश में कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है और लोगों की चिंता भी बढ़ रही है. इस महामारी से बचने के लिए लोग हर संभव प्रयास कर रहे हैं. एक नया ट्रेंड जिले में आजकल देखने को मिल रहा है. कोरोना का सटीक इलाज नहीं होने के चलते ऐलोपैथिक डॉक्टर भी मरीजों को इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेद का सहारा की सलाह दे रहे हैं. बढ़ते कोरोना मरीजों को देखते हुए अब आयुर्वेदिक दवाओं की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है. इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए लोग पुरानी भारतीय पद्धति और आयुर्वेदिक को अपना रहे हैं. 6 माह पहले तक अमूमन एलोपैथिक पर यकीन करने वालों की तादाद ज्यादा थीे, लेकिन कोरोना संक्रमण काल में आयुर्वेदिक दवाइयों पर लोगों ने भरोसा जताया. स्थानीय स्तर पर लगभग 50% लोग अब आयुर्वेदिक दवाओं पर विश्वास कर रहे हैं.
कोरोना से जंग में आयुर्वेद बना हथियार बना
कोरोना संक्रमण से जंग के लिए चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े विद्वानों ने सबसे पहले इम्यून सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत महसूस की. यही वजह है कि मार्च से अब तक लोगों ने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए न सिर्फ योग, व्यायाम का सहारा लिया बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों और दवाओं का भी जमकर इस्तेमाल शुरु किया है. खास बात यह है कि आयुर्वेद को लोग अब प्राथमिकता दे रहे हैं. अपने आसपास आसानी से मिल जाने वाली नीम, गिलोय, तुलसी के चमत्कारी औषधीय गुण को लोग अक्कसर भूल जाते हैं, पर आज उन्हीं औषधियों को लोग या तो पैसे देकर खरीद रहे हैं या फिर उसकी खोज में कई किलोमीटर तक चले जा रहे हैं.
आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी