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कोरोना काल में मोची बदहाल, पाई-पाई को हो रहे मोहताज, मुश्किल से जल रहा चूल्हा - financial crises to cobbler due to lockdown

कोरोना काल का असर हर वर्ग पर दिख रहा है. सीधी में मोची रोजाना अपनी दुकान ग्राहकों के आने की आस में लगाते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण काल में लोग बाहर नहीं निकल रहे हैं, जिस वजह से मोची निराश अपने घर लौट रहे हैं. कमाई नहीं होने की वजह से अब मोचियों पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है.

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बदहाल मोची

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Published : Aug 13, 2020, 3:50 PM IST

सीधी। एक छोटे से वायरस ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है, यहां भी समाज के हर वर्ग पर इन दिनों कोरोना महामारी के चलते आर्थिक ग्रहण लगा है. कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन की वजह से रोजगार की समस्या हर वर्ग के सामने खड़ी है. समाज के किसी वर्ग पर सबसे ज्यादा आर्थिक मार पड़ी है तो वो है रोजाना छोटा-मोटा काम कर अपना जीवनयापन करने वाले. इसी वर्ग में मोची भी शामिल हैं. कोरोना महामारी से बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन ने मोचियों का निवाला छीन लिया है.

बदहाल हुए मोची

संक्रमण के डर से नहीं निकल रहे लोग
रोजाना कमाकर खाने वाले फुटपाथी व्यापारियों के लिए लॉकडाउन किसी आफत से कम नहीं है. कोरोना संक्रमण के डर की वजह से लोगों ने घर से निकलना बंद कर दिया है. जिस कारण मोचियों के पास काम नहीं आ रहा है. वहीं दूसरी ओर फिलहाल ज्यादा लोगों का ऑफिस भी आना-जाना नहीं हो रहा है. ऐसे में अब मोचियों के पास लोग ही नहीं आ रहे हैं तो उनकी कमाई भी नहीं हो रही है.

2-5 रुपए की हो रही कमाई

जिले में करीब 160 मोची हैं, जिनका गुजर-बसर इन दिनों बड़ी मुश्किल से हो रहा है. मोची बताते हैं कि ज्यादा काम नहीं आ रहा है, इस काम से अब इतनी कमाई नहीं हो रही है कि उनक और उनके परिवार का जीवनयापन अच्छे से हो सके. जहां कहीं पहले रोजाना 400 से 500 रुपए की कमाई हो जाती थी, वहीं अब 50 से 100 रुपए आना भी मुश्किल हो रहा है. अगर इन दिनों अपनी दुकान न खोलें तो उस दिन बड़ी आफत हो जाती है.

कोटे के राशन से हो रहा गुजर-बसर

शहर के मोची बताते हैं कि सरकार द्वारा मिलने वाले कोटे के राशन से वे अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. कोटे में राशन कम दामों में मिलता है, इन दिनों कमाई भी न के ही बराबर है. ऐसे में मोचियों के सामने और भी अपने खर्च निकालना मुश्किल साबित हो रहा है.

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पूरे देश में लगे लॉकडाउन की वजह से छोटे व्यपारी और रोज कमाकर खाने वाले फुटकर व्यापारियों के लिए लॉकडाउन एक बड़ी आफत साबित हो रही है. ऐसे में अब ये देखना होगा कि सरकार इस मुश्किल दौर में इस वर्ग के लिए क्या कदम उठाती है.

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