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कोविड ने छीना पिता का साया, बेटी ने संभाली परिवार की जिम्मेदारी - कोविड ने छीना पिता का साया

सीधी जिले में कोरोना से पिता की मौत के बाद एक बेटी ने अस्पताल में नौकरी कर परिवार की जिम्मदारी संभाली है.

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Published : Jun 10, 2021, 5:53 PM IST

सीधी। बेटियां किसी बेटे से कम नहीं होती. ये कहावत एक बेटी ने सिद्ध कर दी है. पिता की मौत के बाद तीन भाईयों और मां की सहारा एक बेटी सहारा बनी है. कोरोना वायरस का संक्रमण लोगों की जिंदगी खत्म कर रहा है. एक के बाद एक परिवार उजड़ते जा रहे हैं. इसी तरह एक दिन इस बेटी के पिता की कोरोना में मौत हो गई और पिता का साया उठ गया. इस घटना का शिकार बनी सीधी के जिला चिकित्सालय कोविड आईसीयू वार्ड में तैनात नर्स पूजा पनिका ने हिम्मत नहीं हारी और पिता की मौत के तीसरे दिन ही कलेक्टर रवींद्र चौधरी की मदद से जिला चिकित्सालय के कोविड-19 वार्ड में स्टाफ नर्स के पद पर जॉइनिंग कर ली. वही अब परिवार की तरह कोविड पॉजीटिव मरीज की सेवा कर रही हैं. अपने तीन छोटे भाइयों और मां को भी संभाल रही हैं.

कलेक्टर की अभिनव पहल

जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर स्थित कुसमी की रहने वाली पूजा पनिका, के पिता प्रयाग लाल पनिका शिक्षक थे ओर उनका सपना था कि हमारी बेटी नर्स बने और मरीजों की मन से सेवा करें. बेटी को नर्स तो बना दिया. बिटिया जीएनएम करने के बाद आईसीयू की ट्रेनिंग लेकर जबलपुर में अपनी सेवा भी देने लगी. इसी दौरान अचानक पिता की तबीयत खराब बिगड़ गई और आनन-फानन में परिजनों की मदद से जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया. इस दरमियान बेटी को कुछ नहीं पता चला. छोटे भाई की मदद से बेटी पूजा को अचानक मोबाइल के माध्यम से पता चला कि पिता की तबीयत खराब है. जहां आनन-फानन में टैक्सी कर लॉकडाउन में ही सीधी के जिला चिकित्सालय में पहुंची. इस दरमियान पिता की हालत खराब होती जा रही थी और आखिर में अस्पताल के आईसीयू वार्ड में पिता ने दम तोड़ दिया.

CMHO मदद के लिए आगे आए

मामले की पूरी जानकारी मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी बीएल मिश्रा के माध्यम से कलेक्टर को लगी. जहां जिले की जिम्मेदार अधिकारी इस बेटी की मदद करने के लिए आगे आए और कलेक्टर के निर्देशानुसार सीएमएचओ ने जिले की इस बेटी को सीधी में ही स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्ति कर दी.

पूजा ने बताया की उस वक्त आत्मविश्वास टूट चुका था कि अब कैसे क्या होगा. क्योंकि पिता का साया भी उठ गया था लेकिन जिले के कलेक्टर और सीएमएचओ के अभिनव पहल से आज में अपने पैर में खड़ी हूं और अपने परिवार को संभाल सकी हूं. पूजा ने बताया की वो जिला चिकित्सालय में अपनी सेवा दे रही हैं और अपने पिता की मौत के बाद तीन छोटे भाईयों और मां का ख्याल रख रही हैं. जो लोग बेटियों को बोझ समझते हैं. उनके लिए ये एक सीख है कि बेटी है तो कल है.

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