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जंगल के बीच बसे इस आदिवासी हॉस्टल में नहीं आती बिजली, छात्र परेशान

प्रदेश के सीधी जिले के आदिवासी मिश्रित आश्रम में छात्र अंधेरे में रहने और पढ़ने को मजबूर हैं. जंगल और पहाड़ के बीच बसे इस गांव के हॉस्टल में सौर ऊर्जा तो लगवा दी , लेकिन सालों से खराब सौर पैनल ने छात्रों को अंधेरे में रहने को मजबूर कर दिया है.

Electricity facility in government hostels built in tribal environment
आदिवासी हॉस्टल में नहीं आती बिजली

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Published : Dec 8, 2019, 12:07 PM IST

Updated : Dec 8, 2019, 3:22 PM IST

सीधी। जिले के आदिवासी मिश्रित आश्रम में पढ़ने वाले छात्र अंधेरे में रहने और पढ़ने को मजबूर हैं. जंगलों और पहाड़ों के बीच बसे इस गांव के सरकारी हॉस्टल में सौर ऊर्जा पैनल तो लगवा दिया गया है. लेकिन बच्चों का भविष्य नहीं सुधर रहा है. जिसके चलते छात्र लालटेन की रोशनी में अपना भविष्य संवार रहे हैं. वहीं कलेक्टर ने इस मामले को लेकर कहा कि छात्रों के लिए किसी और विकल्प पर विचार किया जाएगा.

आदिवासी हॉस्टल में नहीं आती बिजली

सीधी जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर भुइमाड जंगलों के बीच बसा हर्रई गांव में 30 बिस्तर का शासकीय आदिवासी मिश्रित आश्रम इस लिए बनाया गया था कि बच्चे सुकुन से शिक्षा ग्रहण कर सके.

हालांकि गांव में अभी तक बिजली नहीं पहुंच पाई है, इसके लिए प्रशासन ने कुछ शिक्षा संस्थानों की मदद से सौर ऊर्जा प्लांट लगवाया था. पैनल के खराब हो जाने से छात्रों को अब जंगली जानवरों का भय सताने लगा है.

हॉस्टल के चपरासी का कहना है कि बिजली की बड़ी समस्या है, रात अंधेरे में कैसे कटती है भगवान ही जानता होगा. कलेक्टर रविंद्र कुमार ने कहा कि मुझे इस समस्या की जानकारी अभी लगी है. इसलिए बच्चों की रोशनी के लिए कोई विकल्प निकाला जाएगा. सौर ऊर्जा से रोशनी जलाई जाती है कुछ न कुछ विकल्प खोज लिया जाएगा.

Last Updated : Dec 8, 2019, 3:22 PM IST

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