सीधी। लाइट और डीजे साउंड व्यवसायियों के सामने अब भूख से मरने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है, एक तो लॉकडाउन ने इनकी कमर तोड़ दी है. ऊपर से दुर्गा उत्सव या अन्य उत्सव में डीजे, लाइट को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिससे इन लोगों के सामने एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है. दिन-दिन भर दुकान खोलकर टकटकी लगाकर ग्राहकों के इंतजार में सुबह से शाम हो जाती है कोई ग्राहक आ गया तो ठीक वरना शाम को खाली जेब घर चले जाते हैं.
दुर्गाउत्सव की गाइडलाइन बनी डीजे व्यवसायियों की आफत, आर्थिक तंगी की झेल रहे मार
सीधी में कोरोना वायरस के बचाव में लगे लॉकडाउन से न सिर्फ बड़े व्यापारियों की कमर टूट रही है, बल्कि छोटे व्यवसायी भी आर्थिक बदहाली की मार झेलने को मजबूर हो रहे हैं, गाइडलाइन में दुर्गा उत्सव में डीजे लाइट, साउंड प्रतिबंधित रहने से अब इनके सामने भूख से मरने की नौबत खड़ी हो गई है.
इन व्यावसायियों के बच्चे उम्मीद की आस में बैठे रहते हैं. व्यवसायियों का कहना है कि हम लोगों ने डीजे बजाना और डीजे के व्यवसाय के अलावा कोई दूसरा व्यवसाय करना नहीं सीखा, ऐसे में इसी व्यवसाय करने कि हम लोगों की मजबूरी है, हर साल दुर्गा उत्सव में 20 से 40 हजार कमा लेते थे, जिससे परिवार का पालन पोषण होता था लेकिन अब वह भी नहीं मिल रहा है, जिससे इनके परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो रहा है.
बहरहाल शासन की नई गाइडलाइन के आधार पर इनका व्यवसाय ठप पड़ गया है. हर साल दुर्गा उत्सव और शादी विवाह एवं अन्य समारोह में डीजे साउंड लाइट व्यवसाई अच्छा खासा कमा लेते थे लेकिन देश में लगे लॉकडाउन की वजह से इनकी रोजी रोटी चलाना दूभर हो रहा है, ऐसे में देखना होगा कि शासन इन छोटे व्यवसायियों के रोजी रोटी को लेकर क्या कुछ विचार करती है या कोई नई गाइडलाइन जारी करती है यह देखने वाली बात होगी.