सीधी। जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं का आलम थमने का नाम नहीं ले रहा है. ना सिर्फ जिला अस्पताल बल्कि ग्रामीण अंचलों में भी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है. महिलाओं को इसका ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. वहीं जिला प्रशासन भी मान रहा है कि जिले में मातृ मृत्युदर ज्यादा है.
स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल, बेखबर जिम्मेदार
सीधी में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार नहीं हो रहा है. लगातार लापरवाही की वजह से मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मामले में न तो शासन गंभीर है और ना ही प्रशासन.
जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ जरूरतमंदों को समुचित रूप से नहीं मिल रहा है. वजह है कि जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं के चलते डॉक्टरों की कमी. जो डॉक्टर हैं भी वो अपने घर में निजी क्लीनिक चलाते हैं. उपकरणों की कमी, नर्सों द्वारा मरीजों के साथ बदसलूकी, दवाओं की कमी, अधिकतर मरीज बाहर की दवाई लेने को मजबूर होते हैं. प्रसूता महिलाओं के मामले में लगातार लापरवाही की वजह से महिलाओं की मौत होती है. भाजपा की जिला पंचायत सदस्य उषा गोपाल पटेल ने शासन पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार द्वारा शिक्षा स्वास्थ्य जैसी जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया जाता. जिला अस्पताल में अव्यवस्थाएं फैली हुई है.
वहीं इस मामले में जिला कलेक्टर भी इस बात को मान रहे हैं कि सीधी में मातृ मृत्युदर बहुत ज्यादा है. राष्ट्रीय संदर्भ में भी और प्रदेश संदर्भ में भी जिला बहुत पीछे है. जहां जागरूकता की जरूरत है. कलेक्टर ने कहा सभी को मिलकर सकारात्मक सोच लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है. जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो सकें.